उत्तर लेखन की रणनीति
1. प्रस्तावना
- निर्यात-आधारित विकास मॉडल की परिभाषा।
- भारत की आर्थिक स्थिति और विकास के लक्ष्य का संक्षिप्त परिचय।
2. निर्यात-आधारित विकास मॉडल का महत्व
- रोजगार सृजन: लाखों नौकरियों का सृजन, विशेषकर श्रम-प्रधान क्षेत्रों में।
- आर्थिक स्थिरता: व्यापार घाटे में कमी और विदेशी मुद्रा भंडार का सुदृढ़ीकरण।
- वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकरण: नई तकनीकों और सर्वोत्तम प्रथाओं का लाभ उठाना।
- क्षेत्रीय विकास: औद्योगीकरण और समावेशी विकास में योगदान।
- तकनीकी उन्नयन: उन्नत तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
3. चुनौतियाँ
- लॉजिस्टिक्स लागत: उच्च रसद लागत और अवसंरचना की समस्याएं।
- निर्यात बास्केट में विविधता का अभाव: कुछ क्षेत्रों पर निर्भरता।
- ग्लोबल वैल्यू चेन में सीमित एकीकरण: आपूर्ति श्रृंखला की कमी।
- व्यापार संरक्षणवाद: वैश्विक स्तर पर बढ़ता टैरिफ।
- वित्तपोषण की कमी: SMEs के लिए निर्यात वित्तपोषण तक पहुँच का अभाव।
4. अवसर
- उभरते क्षेत्र: नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन आदि में संभावनाएँ।
- सरकारी नीतियाँ: PLI योजना और अन्य सरकारी योजनाएँ।
- डिजिटल व्यापार: ई-कॉमर्स में विस्तार के अवसर।
- वैश्विक साझेदारी: नए व्यापार समझौतों का लाभ उठाना।
5. निष्कर्ष
- निर्यात-आधारित विकास के महत्व को संक्षेप में बताएं।
- सुधार की आवश्यकता और अवसरों का अधिकतम लाभ उठाने की आवश्यकता पर जोर दें।
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निर्यात-आधारित विकास मॉडल का महत्व
निर्यात-आधारित विकास मॉडल (ELG) भारत के आर्थिक रूपांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था ने वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाई है, जिससे उत्पादन, निर्यात और रोजगार सृजन में वृद्धि हुई है। भारत का निर्यात 2022-23 में $447.46 बिलियन तक पहुंच चुका है, जो इसकी वैश्विक आर्थिक शक्ति को दर्शाता है।
चुनौतियाँ
अवसर
इस प्रकार, निर्यात-आधारित विकास मॉडल भारत को सतत और समावेशी आर्थिक विकास में सहायक हो सकता है।
निर्यात-आधारित विकास मॉडल का महत्व
निर्यात-आधारित विकास मॉडल (ELG) भारत के आर्थिक विकास में एक प्रमुख स्तंभ रहा है। 2022-23 में भारत का वस्त्र और सेवा निर्यात $770 बिलियन तक पहुंचा, जो GDP और रोजगार सृजन को बढ़ावा देता है। यह मॉडल औद्योगीकरण, विदेशी निवेश और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भागीदारी को बढ़ाता है।
चुनौतियाँ
अवसर
निष्कर्ष
निर्यात-आधारित विकास मॉडल सतत और समावेशी आर्थिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। चुनौतियों से निपटने और अवसरों का लाभ उठाने से भारत वैश्विक शक्ति बन सकता है।
निर्यात-आधारित विकास मॉडल का महत्व
निर्यात-आधारित विकास मॉडल (ELG) भारत के आर्थिक विकास में एक मजबूत भूमिका निभा रहा है। भारत का कुल निर्यात 2022-23 में $770 बिलियन तक पहुंचा, जिसमें मुख्य योगदान IT, फार्मास्युटिकल और वस्त्र क्षेत्रों का रहा। यह मॉडल विदेशी मुद्रा भंडार, निवेश और रोजगार सृजन में सहायक है।
चुनौतियाँ
अवसर
निष्कर्ष
सतत विकास के लिए ELG को मजबूत नीति, विविधीकरण और नवाचार के साथ अपनाना होगा।
मॉडल उत्तर
प्रस्तावना
निर्यात-आधारित विकास मॉडल एक ऐसा आर्थिक ढांचा है, जिसमें एक देश अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए निर्यात को प्राथमिकता देता है। भारत की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए, इस मॉडल का महत्व बढ़ता जा रहा है, क्योंकि भारत का लक्ष्य 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनना है।
निर्यात-आधारित विकास मॉडल का महत्व
निर्यात-आधारित विकास मॉडल का सबसे बड़ा लाभ रोजगार सृजन है। यह लाखों नौकरियों का निर्माण कर सकता है, विशेषकर वस्त्र और फार्मास्यूटिकल्स जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में। उदाहरण के लिए, उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत स्मार्टफोन निर्माण में वृद्धि ने 300,000 प्रत्यक्ष और 600,000 अप्रत्यक्ष नौकरियाँ पैदा की हैं।
इसके अलावा, निर्यात वृद्धि व्यापार घाटे में कमी लाती है और विदेशी मुद्रा भंडार को सुदृढ़ करती है। FY22-23 में भारत का वस्तु निर्यात 447 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिससे व्यापार घाटा 21.94 बिलियन डॉलर तक घटा।
वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकरण से भारत को नई तकनीकों और सर्वोत्तम प्रथाओं का लाभ उठाने का अवसर मिलता है। इसके साथ ही, निर्यात-आधारित विकास क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देता है और औद्योगीकरण में मदद करता है।
चुनौतियाँ
हालाँकि, निर्यात-आधारित विकास मॉडल के सामने कई चुनौतियाँ हैं। उच्च लॉजिस्टिक्स लागत और अवसंरचना की समस्याएं भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने में बाधा डालती हैं। इसके अलावा, निर्यात बास्केट में विविधता का अभाव भी एक महत्वपूर्ण समस्या है, क्योंकि भारत की निर्यात क्षमता कुछ क्षेत्रों पर निर्भर है।
ग्लोबल वैल्यू चेन में सीमित एकीकरण भी भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को कमजोर करता है। व्यापार संरक्षणवाद के बढ़ते प्रवृत्ति से निर्यात वृद्धि को खतरा है, और SMEs के लिए निर्यात वित्तपोषण तक पहुँच का अभाव भी एक बड़ी चुनौती है।
अवसर
इसके बावजूद, भारत के लिए कई अवसर भी हैं। उभरते क्षेत्रों जैसे नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों में संभावनाएँ हैं। सरकारी नीतियाँ जैसे PLI योजना और डिजिटल व्यापार का विस्तार भी निर्यात वृद्धि को प्रोत्साहित कर सकते हैं। नए व्यापार समझौतों के माध्यम से वैश्विक साझेदारी भी अवसर प्रदान करती हैं।
निष्कर्ष
इस प्रकार, निर्यात-आधारित विकास मॉडल भारत के आर्थिक रूपांतरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हालाँकि, इसे अपनाने में कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन सही नीतियों और सुधारों के माध्यम से भारत इन अवसरों का लाभ उठाकर एक मजबूत और स्थायी आर्थिक विकास की दिशा में बढ़ सकता है।