उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
1. भूमिका (Introduction)
- भूमिका में हिमनदों के संचलन का संक्षेप में परिचय दें।
- हिमनदों के संचलन द्वारा उत्पन्न अपरदित और निक्षेपित भू-आकृतियों के महत्व का उल्लेख करें।
- यह स्पष्ट करें कि हिमनदों द्वारा उत्पन्न भू-आकृतियाँ अपरदन और निक्षेपण की प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप बनती हैं।
2. हिमनदों के संचलन द्वारा उत्पन्न अपरदित भू-आकृतियाँ (Body)
a. अपरदित भू-आकृतियाँ:
- हिमनदों का संचलन पृथ्वी की सतह को खरोंचता और काटता है, जिससे अपरदन की प्रक्रिया होती है। हिमनदों के द्वारा उत्पन्न प्रमुख अपरदित भू-आकृतियाँ:
- U-आकार की घाटी (U-shaped valley): हिमनद द्वारा बनाई गई घाटियाँ, जो पहले V-आकार की होती हैं, उनका आकार समय के साथ U-आकार का हो जाता है।
- हैंगिंग घाटी (Hanging valley): यह तब बनती है जब एक छोटी घाटी एक बड़ी घाटी से मिलती है, और छोटी घाटी की ऊँचाई बड़ी घाटी से अधिक होती है।
- करेवासन (Cirque): यह एक गोलाकार, उच्चतम स्थल है जो हिमनद के द्वारा कट जाता है।
- होर्न (Horn): यह एक चोटी जैसी संरचना है जो हिमनद द्वारा कई घाटियों के संगम से बनती है, जैसे Matterhorn पर्वत।
3. हिमनदों के संचलन द्वारा उत्पन्न निक्षेपित भू-आकृतियाँ
b. निक्षेपित भू-आकृतियाँ:
- हिमनदों द्वारा खींची गई और छोड़ी गई सामग्री (मिट्टी, पत्थर आदि) को हिमनद की समाप्ति या पिघलने के दौरान निक्षेपित किया जाता है।
- प्रमुख निक्षेपित भू-आकृतियाँ:
- मोरेन (Moraine): यह हिमनद द्वारा खींची गई सामग्री (गंदगी, मिट्टी, पत्थर) का जमाव होता है। इसे लटरल मोरेन (हिमनद की किनारे पर) और टर्मिनल मोरेन (हिमनद के आखिरी स्थान पर) में बांटा जा सकता है।
- टिल (Till): यह हिमनद द्वारा निक्षेपित मिश्रित अवशेष होते हैं, जो असंगठित और अनियमित होते हैं।
- आइस-स्केट (Ice-sculpted terrain): हिमनद द्वारा छोड़ी गई आकारों की तरह संरचनाएँ होती हैं जो बर्फ की पिघलने के बाद बनती हैं।
- धारा (Drumlin): यह एक आकार होता है जो बर्फ के नीचे के निक्षेप से उत्पन्न होता है, और यह अंडाकार या अंडाकार आकार का होता है।
4. निष्कर्ष (Conclusion)
- निष्कर्ष में यह संक्षेप में कहें कि हिमनदों का संचलन पृथ्वी की सतह को बदलने और विभिन्न अपरदित तथा निक्षेपित भू-आकृतियाँ उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार है।
- हिमनदों द्वारा उत्पन्न इन आकृतियों का अध्ययन न केवल भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन, भू-रचनाओं, और पर्यावरणीय परिवर्तन को समझने में भी सहायक है।
उत्तर में उपयोग किए जा सकने वाले प्रासंगिक तथ्य:
- U-आकार की घाटी (U-shaped valley):
- हिमनद के द्वारा बनायी गयी घाटी जो पहले V-आकार की होती थी, अब U-आकार की हो जाती है। इसका उदाहरण स्विट्ज़रलैंड के अल्ब्स पर्वत में देखा जाता है।
- हैंगिंग घाटी (Hanging valley):
- हिमनद द्वारा बनाई गई घाटियाँ, जहां एक छोटी घाटी बड़ी घाटी से जुड़ती है और छोटी घाटी का मुँह ऊँचा होता है, जैसे Yosemite घाटी।
- मोरन (Moraine):
- यह हिमनद द्वारा छोड़ी गयी अवशेषों की संरचनाएँ होती हैं, जो टर्मिनल मोरेन और लटरल मोरेन में बाँटी जाती हैं।
- टिल (Till):
- यह असंगठित अवशेष होते हैं जो हिमनद द्वारा छोड़े जाते हैं और ये सामान्य रूप से मिश्रित और अनियमित होते हैं।
ग्लेशियरः पृथ्वी की सतह की नक्काशी
यह काम ग्लेशियरों की पहचान भरी हुई बर्फ से प्राप्त बर्फ के बड़े द्रव्यमान के रूप में करता है जो पृथ्वी के चेहरे को मूर्तिकला करने वाली प्रभावशाली ताकतें हैं। उनकी धीमी और निरंतर चालें क्षय और निक्षेपण दोनों का कारण बनती हैं, और विशिष्ट रूपों का निर्माण करती हैं जो अतीत के जलवायु और भूवैज्ञानिक इतिहास को समझने में बहुत महत्वपूर्ण हैं।
क्षरणशील भू-आकृतियाँ
ग्लेशियरों के परिदृश्य को खराब करने के दो मुख्य तरीके हैंः चुटकी लेने और रगड़ने सेः मच्छर मुंह के हिस्से और घर्षण तंत्र दोनों द्वारा तोड़ने के माध्यम से परजीवी फैलाते हैं। तोड़ना उस प्रक्रिया को संदर्भित करता है जिसमें पानी चट्टान के द्रव्यमान में दरारें बनाता है और फिर पिघलने पर बर्फ के साथ चट्टान के टुकड़ों को खींचता है। घर्षण तब होता है जब ग्लेशियर भू-आकृति के आधार के साथ चलता है, मिट्टी को मिटा देता है, मुंडन करता है और चट्टान को चमकाता है।
– ग्लेशियल घाटियाँ/गर्तः खड़ी किनारों और सपाट तल वाली चौड़ी यू-आकार की घाटियाँ विकसित की जाती हैं जहाँ ग्लेशियरों का क्षरण होता है और मौजूदा नदी घाटी के साथ फैलता है।
– सर्कसः सर्कस छोटे बेसिन या कटोरे के आकार के दबाव होते हैं जो अक्सर हिमनदीय घाटियों के शीर्ष पर होते हैं जो बर्फ जमा करने के लिए बर्फ से भर जाते हैं।
सींगः जैसे ही सर्कस एक पहाड़ को कई तरफ से काटते हैं, वे तेज और पिरामिडल चोटियों का निर्माण करते हैं जिन्हें पुनः प्रवेश कोण के रूप में भी जाना जाता है।
– कलाकृतियाँः आस-पास की हिमनद घाटियों के बहुत ऊँचे किनारे चाकू की धार वाली कटकों से विभाजित हैं।
बर्गश्रंड्सः इस तरह की महत्वपूर्ण विशाल दरारें फर्श पर एक साथ पाई जाती हैं, जो ग्लेशियर के शीर्ष पर और विशेष रूप से वर्ष के गर्म महीनों के दौरान सबसे बड़ी होती हैं।
निक्षेपण स्थलरूप
क्षरण के माध्यम से, ग्लेशियर उन सामग्रियों को जमा करते हैं जो वे परिवहन करते हैं जिससे जमीन की विशेषताओं की संख्या विकसित होती है;
– जमा होने तकः हिमनदों के जमा होने के अवशेष-जब हिमनद पिघल रहे होते हैं तो मिट्टी/पत्थर जमा हो जाते हैं।
– बाहरी मैदानः ये भार के साथ पिघले हुए पानी की धाराओं से बनते हैं, जो बारी-बारी से महीन दाने वाले तलछट का परिवहन और जमा करते हैं और इस प्रकार परतों को छोड़ देते हैं।
– मोराइनः टिल वर्तमान ग्लेशियर मार्जिन पर जमा होने तक के संचय हैं; पार्श्व मोराइन किनारों पर ग्लेशियर की सीमा तक होते हैं; मध्य मोराइन ग्लेशियर की केंद्र रेखा में या उसके पास होने वाली कटकों तक होते हैं; ग्राउंड मोराइन ग्लेशियर के तल पर कटकों तक होते हैं।
– एस्कर्सः लेंटिकुलर सबग्लेशियल मेल्टवाटर चैनलों द्वारा जमा किए गए तलछट के उभरे हुए सबग्लेशियल फ़्लूटिंग्स।
– ड्रमलिन्सः मुख्य रूप से नीचे की बर्फ की दिशा में विस्तारित होने तक हिमनदों की लंबी गोल कटकें।
इन विशिष्ट भू-आकृतियों का अध्ययन करके, भूवैज्ञानिक पिछली हिमनदीय घटनाओं का पुनर्निर्माण करने, जलवायु परिवर्तन के पैटर्न को समझने और हमारे ग्रह की सतह को आकार देने के लिए बर्फ की अपार शक्ति की सराहना करने में सक्षम हैं।
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यह उत्तर हिमनदों द्वारा उत्पन्न भू-आकृतियों के क्षरण और निक्षेपण प्रक्रियाओं का वर्णन करता है और इसे स्पष्ट रूप से दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इसमें प्रक्रियाओं और भू-आकृतियों का विवरण सरल और प्रभावशाली ढंग से दिया गया है, जिससे यह विषय समझने में आसानी होती है।
सुव्यवस्थित संरचना: उत्तर को क्षरण और निक्षेपण स्थलाकृतियों के रूप में अलग-अलग वर्गीकृत किया गया है।
सटीक विवरण: सर्कस, मोराइन, और ग्लेशियल घाटियों जैसी भू-आकृतियों का वर्णन सटीक और स्पष्ट है।
वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य: प्रक्रियाओं जैसे “घर्षण” और “तोड़ना” की व्याख्या सरल शब्दों में दी गई है।
लाभकारी संदर्भ: भू-आकृतियों का अध्ययन जलवायु परिवर्तन और भौगोलिक इतिहास के अध्ययन के लिए उपयोगी बताया गया है।
सुधार के लिए सुझाव
उदाहरण की कमी: विभिन्न भू-आकृतियों के लिए वास्तविक उदाहरण जैसे Matterhorn (हॉर्न), Yosemite Valley (ग्लेशियल घाटी) शामिल नहीं हैं।
अनुपस्थित तथ्य:
हिमनद झीलें: जैसे केटल झीलें, जो पिघली हुई बर्फ से बनती हैं।
फजॉर्ड: समुद्र के पास यू-आकार की घाटियाँ, जो हिमनदों के क्षरण से बनती हैं।
ग्लेशियल एर्रैटिक्स: बड़े पत्थर जो हिमनदों द्वारा दूर-दूर तक ले जाए जाते हैं।
अतिरिक्त विवरण: बर्गश्रंड्स और ड्रमलिन्स के विवरण और बेहतर हो सकते हैं।
दोहराव: ग्लेशियल घाटियों के विवरण में कुछ दोहराव है, जिसे संक्षिप्त किया जा सकता है।
प्रतिक्रिया
उत्तर व्यापक और सही है, लेकिन इसे और बेहतर बनाने के लिए वास्तविक उदाहरणों और कुछ अनुपस्थित भू-आकृतियों को जोड़ा जाना चाहिए। विवरण को थोड़ा अधिक संक्षेप में रखा जा सकता है और दोहराव से बचा जा सकता है। कुल मिलाकर, यह एक अच्छा प्रयास है।
हिमनदों से उत्पन्न भू-आकृतियाँ
हिमनदों (Glaciers) के संचलन से विभिन्न अपरदित (Erosional) और निक्षेपित (Depositional) भू-आकृतियाँ बनती हैं। इनका निर्माण हिमनदों की गतिशीलता और उनके द्वारा परिवहन किए गए मलबे से होता है।
1. अपरदित भू-आकृतियाँ
2. निक्षेपित भू-आकृतियाँ
हिमनदों की अपरदित और निक्षेपित आकृतियाँ भू-आकृतियों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। ये अध्ययन हमें जलवायु और भूगोल को समझने में मदद करते हैं।
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यह उत्तर हिमनदों से बनने वाली अपरदित और निक्षेपित भू-आकृतियों का संक्षिप्त और सटीक विवरण प्रदान करता है। विषय को सरल और स्पष्ट तरीके से प्रस्तुत किया गया है, जिससे यह उत्तर एक औसत पाठक के लिए उपयोगी बनता है।
सकारात्मक पक्ष
संरचना: उत्तर को अपरदित और निक्षेपित भू-आकृतियों में विभाजित करना तार्किक है।
स्पष्टता: सर्क, अर, हॉर्न, मोरैन आदि की परिभाषाएँ सरल और समझने योग्य हैं।
भूगर्भीय महत्व: भू-आकृतियों के निर्माण का योगदान और जलवायु अध्ययन के महत्व को इंगित किया गया है।
उदाहरण: मोरैन के प्रकारों को वर्गीकृत करना उपयोगी है।
सुधार के लिए सुझाव
उदाहरण की कमी: वास्तविक उदाहरण जैसे यूरोप में मैटरहॉर्न (Horn), अमेरिका की यॉसेमाइट घाटी (U-आकार की घाटी), या एस्कर के उदाहरण को जोड़ा जा सकता था।
अनुपस्थित तथ्य:
फजॉर्ड (Fjord): समुद्र के पास यू-आकार की घाटियाँ।
ग्लेशियल एर्रैटिक्स (Erratics): हिमनदों द्वारा दूर ले जाए गए बड़े पत्थर।
केटल झीलें (Kettle Lakes): पिघले हुए बर्फ के कारण बनी झीलें।
आउटवॉश मैदान (Outwash Plains) का उल्लेख नहीं है।
विस्तार की कमी: ड्रमलिन और एस्कर की परिभाषा को और स्पष्ट किया जा सकता था।
अध्ययन का योगदान: यह उल्लेख किया जा सकता था कि भू-आकृतियों के अध्ययन से भूगर्भीय इतिहास और जलवायु परिवर्तन को समझने में कैसे मदद मिलती है।
प्रतिक्रिया
उत्तर प्रभावशाली है लेकिन इसे अधिक व्यापक बनाने के लिए अतिरिक्त तथ्य और वास्तविक उदाहरण जोड़े जा सकते हैं। उदाहरण और अनुपस्थित भू-आकृतियों को जोड़ने से उत्तर अधिक समृद्ध और संतुलित होगा।
हिमनदों से उत्पन्न अपरदित और निक्षेपित भू-आकृतियाँ
हिमनदों का संचलन पृथ्वी की सतह को गहराई तक प्रभावित करता है, जिससे विभिन्न अपरदित और निक्षेपित भू-आकृतियाँ बनती हैं। हिमालय में ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने (UNEP 2022 रिपोर्ट) के कारण इन आकृतियों का अध्ययन आज और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
1. अपरदित भू-आकृतियाँ
2. निक्षेपित भू-आकृतियाँ
वर्तमान परिप्रेक्ष्य
ग्लेशियरों का पिघलना बढ़ रहा है। IPCC रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में हिमनद 30% तेजी से पिघल रहे हैं। भारत में गंगोत्री ग्लेशियर हर साल लगभग 22 मीटर सिकुड़ रहा है। इन आकृतियों का अध्ययन जलवायु परिवर्तन को समझने में सहायक है।
यह उत्तर विषय के मुख्य बिंदुओं को कवर करता है और वैज्ञानिक सन्दर्भों (जैसे UNEP और IPCC रिपोर्ट) का उपयोग करके इसे अधिक प्रासंगिक और समकालीन बनाता है। हिमालयी ग्लेशियरों और उनके प्रभावों का उल्लेख इसे विशेष रूप से भारतीय संदर्भ में उपयोगी बनाता है।
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प्रासंगिक संदर्भ: UNEP और IPCC रिपोर्ट का उल्लेख उत्तर को वैज्ञानिक रूप से मजबूत बनाता है।
उदाहरण: गंगोत्री, पिंडारी और मटरहॉर्न जैसे वास्तविक उदाहरण दिए गए हैं, जो उत्तर को प्रामाणिक बनाते हैं।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य: जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने की चर्चा समकालीन महत्व को दर्शाती है।
संरचना: उत्तर को दो मुख्य भागों (अपरदित और निक्षेपित भू-आकृतियाँ) में विभाजित किया गया है, जिससे इसे पढ़ना आसान हो जाता है।
सुधार के लिए सुझाव
अनुपस्थित तथ्य:
फजॉर्ड (Fjord): ग्लेशियरों द्वारा बनी यू-आकार की घाटियाँ जो समुद्र में जाती हैं।
केटल झीलें (Kettle Lakes): पिघली हुई बर्फ से बनी झीलें।
ग्लेशियल एर्रैटिक्स (Erratics): दूरस्थ स्थानों पर छोड़े गए बड़े पत्थर।
आउटवॉश मैदान (Outwash Plains) का उल्लेख नहीं है।
ड्रमलिन और एस्कर: इनकी परिभाषाएँ और बेहतर विवरण के लिए विस्तार किया जा सकता है।
भाषा सुधार: “ग्लेशियर” और “हिमनद” का उपयोग एकरूपता बनाए रखने के लिए सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।
प्रतिक्रिया
उत्तर व्यापक है और प्रमुख बिंदुओं को प्रभावी ढंग से कवर करता है। हालांकि, अनुपस्थित तथ्यों को जोड़कर और भू-आकृतियों का विस्तृत विवरण देकर इसे और अधिक समृद्ध बनाया जा सकता है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करना उत्तर को विशेष रूप से प्रासंगिक बनाता है।
हिमनदों से उत्पन्न भू-आकृतियाँ
हिमनदों के संचलन से अपरदित और निक्षेपित भू-आकृतियाँ बनती हैं, जो भूगोल और जलवायु अध्ययन में महत्वपूर्ण हैं।
1. अपरदित भू-आकृतियाँ
2. निक्षेपित भू-आकृतियाँ
निष्कर्ष
ग्लेशियरों का पिघलना (IPCC, 2021) इन आकृतियों को प्रभावित कर रहा है। इनके अध्ययन से जलवायु परिवर्तन का पता चलता है।
यह उत्तर हिमनदों से उत्पन्न भू-आकृतियों का वर्णन करता है लेकिन इसमें पर्याप्त विवरण और कुछ महत्वपूर्ण भू-आकृतियाँ शामिल नहीं हैं। उत्तर में उल्लेखित बिंदु सही हैं, लेकिन यह अधूरा और सरलीकृत है।
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संरचना: उत्तर को स्पष्ट रूप से दो भागों (अपरदित और निक्षेपित भू-आकृतियाँ) में विभाजित किया गया है।
प्रासंगिक उदाहरण: गंगोत्री ग्लेशियर, कश्मीर की घाटियाँ, और मटरहॉर्न जैसे स्थानों का उल्लेख इसे प्रामाणिक बनाता है।
जलवायु परिवर्तन का संदर्भ: IPCC रिपोर्ट का उल्लेख उत्तर को समकालीन और प्रासंगिक बनाता है।
सुधार के लिए सुझाव
अनुपस्थित तथ्य:
फजॉर्ड (Fjord): ग्लेशियरों द्वारा समुद्र में बनी यू-आकार की घाटियाँ।
केटल झीलें (Kettle Lakes): पिघलती बर्फ के कारण बनी झीलें।
ग्लेशियल एर्रैटिक्स (Erratics): हिमनदों द्वारा दूरस्थ स्थानों पर छोड़े गए बड़े पत्थर।
आउटवॉश मैदान (Outwash Plains) का उल्लेख नहीं है।
विस्तार की कमी:
सर्क, अर, और हॉर्न के निर्माण की प्रक्रियाओं को बेहतर ढंग से समझाया जा सकता है।
मोरैन के प्रकार (किनारी, मध्य, अंतिम) का उल्लेख नहीं है।
भाषा और विवरण:
कुछ भू-आकृतियों का उल्लेख सरसरी तौर पर किया गया है। विवरण और परिभाषाएँ अधिक स्पष्ट होनी चाहिए।
प्रतिक्रिया
उत्तर मुख्य बिंदुओं को कवर करता है लेकिन इसे विस्तार और गहराई की आवश्यकता है। भू-आकृतियों का विवरण अधिक वैज्ञानिक और विस्तृत होना चाहिए। इसके अलावा, अनुपस्थित तथ्य और भू-आकृतियाँ जोड़कर उत्तर को और समृद्ध बनाया जा सकता है।
ग्लेशियर घने बर्फ का एक स्थायी पिंड है, ग्लेशियरों की हरकतें बर्फ के आंतरिक विरूपण और आधार पर चट्टानों और तलछट पर फिसलने के कारण होती हैं।
ग्लेशियर बर्फ की विशाल, धीमी गति से बहने वाली नदियाँ हैं जो अपने द्वारा पार किए जाने वाले परिदृश्य को नाटकीय रूप से बदल सकती हैं। जमे हुए पानी की ये विशाल संरचनाएँ केवल स्थिर नहीं हैं; वे विभिन्न भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के माध्यम से पृथ्वी की सतह को सक्रिय रूप से आकार देती हैं। जब ग्लेशियर चलते हैं, तो वे अपने नीचे की जमीन पर महत्वपूर्ण दबाव डालते हैं, जिससे कटाव, परिवहन और सामग्रियों का जमाव होता है। यह परिवर्तनकारी शक्ति कई प्रकार के भू-आकृतियों का निर्माण कर सकती है जो आकर्षक और जटिल दोनों हैं। ग्लेशियरों द्वारा परिदृश्य को बदलने का एक प्राथमिक तरीका कटाव है। जैसे-जैसे ग्लेशियर आगे बढ़ते और पीछे हटते हैं, वे आधारशिला और मिट्टी को खुरचते हैं, घाटियाँ बनाते हैं और अलग-अलग भूवैज्ञानिक विशेषताएँ बनाते हैं। ग्लेशियल स्कोअरिंग के रूप में जानी जाने वाली प्रक्रिया के परिणामस्वरूप यू-आकार की घाटियाँ बनती हैं, जिनकी विशेषता उनके खड़ी भुजाएँ और सपाट तल हैं, जो नदी के कटाव से बनने वाली वी-आकार की घाटियों से अलग हैं।
1. ग्लेशियल घाटी या यू-आकार की घाटी जिसे गर्त घाटियाँ या ग्लेशियल गर्त भी कहा जाता है, हिमनदी की प्रक्रिया से बनती है। वे विशेष रूप से पर्वतीय हिमनदी की विशेषता हैं। उनके क्रॉस सेक्शन में यू आकार होता है, जिसमें खड़ी, तनी हुई भुजाएँ और सपाट या गोल तल होता है।
2. सर्कस: पर्वतीय घाटी के शीर्ष हैं जो छोटे ग्लेशियरों के कटाव से गहरे खोखले बन गए हैं, वे अक्सर ग्लेशियल घाटी के शीर्ष पर पाए जाते हैं, एक बार ग्लेशियर पिघल जाने पर, पानी सर्कस में भर जाएगा और फिर उन्हें सर्कस झील कहा जाता है
3. हॉर्न एक जगह है जो तब बनती है जब ग्लेशियर तीन या अधिक एरेट्स को नष्ट करते हैं, आमतौर पर एक तेज धार वाली चोटी बनाते हैं
4. एरेट्स, एरेट्स चट्टान की एक संकरी रिज है जो दो घाटियों को अलग करती है। यह आमतौर पर तब बनता है जब दो ग्लेशियर समानांतर यू-आकार की घाटियों को नष्ट करते हैं।
5. घाटी चरण: घाटी के अनुदैर्ध्य ढलान में एक प्रमुख परिवर्तन है, मुख्य रूप से ग्लेशियरों द्वारा निर्मित गर्त घाटी में। आमतौर पर, ग्लेशियरों द्वारा निर्मित घाटी में घाटियों की एक श्रृंखला होती है, जिसमें घाटी के ग्लेशियरों की स्थानीय रूप से बदलती हुई कटाव गहराई द्वारा निर्मित मध्यवर्ती चरण होते हैं। बर्फ पिघलने के बाद, यह शुरू में मध्यवर्ती रैपिड्स या झरनों के साथ झीलों का एक क्रम बन जाता है
6. बर्गश्रंड (जर्मन: “माउंटेन क्रेविस”): एक दरार या दरारों की श्रृंखला जो अक्सर एक पर्वतीय ग्लेशियर के शीर्ष के पास पाई जाती है
परिदृश्य पर ग्लेशियरों का एक और महत्वपूर्ण प्रभाव सामग्री का परिवहन है। ग्लेशियर चट्टानों और तलछट को बहुत दूर तक उठा सकते हैं और ले जा सकते हैं। यह सामग्री, जिसे टिल के रूप में जाना जाता है, विभिन्न रूपों में जमा हो सकती है, जिससे मोरेन, ड्रमलिन और आउटवाश मैदान बनते हैं।
a) टिल डिपॉजिट या ग्लेशियल टिल एक ग्लेशियर द्वारा जमा की गई तलछट है। यह ग्लेशियर के अग्रभागों को ढकता है, इसे मोरेन और अन्य ग्लेशियर भू-आकृतियों को बनाने के लिए टीले बनाए जा सकते हैं, और यह ग्लेशियल वातावरण में सर्वव्यापी है।
बी) आउटवाश मैदान, जिसे सैंडूर, सैंडर या सैंडर भी कहा जाता है, ग्लेशियर के टर्मिनस पर पिघले पानी के बहाव के कारण ग्लेशियोफ्लुवियल जमा से बना एक मैदान है। जैसे-जैसे यह बहता है, ग्लेशियर अंतर्निहित चट्टान की सतह को पीसता है और मलबे को अपने साथ ले जाता है
सी) मोरेन पृथ्वी, पत्थर आदि हैं, जिन्हें बर्फ (ग्लेशियर) के द्रव्यमान द्वारा साथ ले जाया गया है और पिघलने पर छोड़ दिया गया है।
डी) एस्कर, एस्कर, एस्चर, या ओएस, जिसे कभी-कभी असर, ओसार या सर्पेंट केम कहा जाता है, स्तरीकृत रेत और बजरी की एक लंबी, घुमावदार रिज है, जिसके उदाहरण यूरोप और उत्तरी अमेरिका के हिमाच्छादित और पूर्व में हिमाच्छादित क्षेत्रों में पाए जाते हैं। एस्कर अक्सर कई किलोमीटर लंबे होते हैं और अपनी एक समान आकृति के कारण, रेलवे तटबंधों की तरह दिखते हैं।
ई) ड्रमलिन एक बहुत छोटी पहाड़ी है जो बर्फ के एक बड़े द्रव्यमान (ग्लेशियर) की गति से बनती है
इसके अलावा, ग्लेशियरों से जुड़े जलवायु परिवर्तन आसपास के वातावरण को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, ग्लेशियरों की उपस्थिति स्थानीय मौसम के पैटर्न को प्रभावित कर सकती है, जो बदले में वनस्पतियों और जीवों को प्रभावित करती है। ग्लेशियल कवर के कारण होने वाले तापमान में बदलाव माइक्रोक्लाइमेट बना सकते हैं, जिससे ग्लेशियरों के करीब के क्षेत्रों में विविध पारिस्थितिकी तंत्र बन सकते हैं। संक्षेप में, ग्लेशियर परिदृश्य में परिवर्तन के शक्तिशाली एजेंट हैं। वे पृथ्वी को नष्ट करते हैं, सामग्री का परिवहन करते हैं, अद्वितीय भू-आकृतियाँ बनाते हैं और स्थानीय जलवायु को प्रभावित करते हैं।
इन प्रक्रियाओं को समझना न केवल हमारे ग्रह की गतिशील प्रकृति को उजागर करता है बल्कि हमारे रहने वाले वातावरण को आकार देने में ग्लेशियरों के महत्व को भी रेखांकित करता है। जलवायु परिवर्तन दुनिया भर में ग्लेशियरों के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा कर रहा है, इन प्राकृतिक चमत्कारों की सराहना करना और उनकी रक्षा करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके गायब होने से निस्संदेह हमारे परिदृश्य में और अधिक परिवर्तन होंगे।
ग्लेशियर बर्फ की विशाल, धीमी गति से बहने वाली नदियाँ हैं जो अपने द्वारा पार किए जाने वाले परिदृश्य को नाटकीय रूप से बदल सकती हैं। जमे हुए पानी की ये विशाल संरचनाएँ केवल स्थिर नहीं हैं; वे विभिन्न भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के माध्यम से पृथ्वी की सतह को सक्रिय रूप से आकार देती हैं। जब ग्लेशियर चलते हैं, तो वे अपने नीचे की जमीन पर काफी दबाव डालते हैं, जिससे कटाव, परिवहन और सामग्रियों का जमाव होता है। यह परिवर्तनकारी शक्ति कई तरह के भू-आकृतियों का निर्माण कर सकती है जो आकर्षक और जटिल दोनों हैं।
ग्लेशियरों द्वारा परिदृश्य को बदलने का एक प्राथमिक तरीका कटाव है। जैसे-जैसे ग्लेशियर आगे बढ़ते और पीछे हटते हैं, वे आधारशिला और मिट्टी को खुरचते हैं, घाटियों को बनाते हैं और विशिष्ट भूवैज्ञानिक विशेषताओं का निर्माण करते हैं। ग्लेशियल स्कोअरिंग के रूप में जानी जाने वाली प्रक्रिया के परिणामस्वरूप यू-आकार की घाटियाँ बनती हैं, जिनकी विशेषता उनके खड़ी भुजाएँ और सपाट तल हैं, जो नदी के कटाव से बनने वाली वी-आकार की घाटियों से अलग हैं।
अपरदनात्मक भू-आकृतियाँ:
1. ग्लेशियल घाटियाँ (U-आकार की घाटियाँ)
2. सर्कस (छोटे ग्लेशियरों द्वारा निर्मित गहरे गड्ढे)
3. हॉर्न (ग्लेशियल अपरदन द्वारा निर्मित तीक्ष्ण चोटियाँ)
4. एरेट्स (दो घाटियों को अलग करने वाली चट्टान की संकरी लकीरें)
5. वैली स्टेप्स (घाटी ढलान में प्रमुख परिवर्तन)
6. बर्गश्रंड (पहाड़ी ग्लेशियर के शीर्ष के पास दरारें)
निक्षेपणात्मक भू-आकृतियाँ:
1. टिल डिपॉज़िट (ग्लेशियर द्वारा जमा तलछट)
2. आउटवाश प्लेन (ग्लेशियोफ़्लुवियल डिपॉज़िट द्वारा निर्मित मैदान)
3. मोरेन (ग्लेशियर द्वारा लाई गई मिट्टी, पत्थर और अन्य सामग्रियों का जमाव)
4. एस्कर्स (स्तरीकृत रेत और बजरी की लंबी, घुमावदार लकीरें)
5. ड्रमलिन (ग्लेशियर की गति से निर्मित छोटी पहाड़ियाँ)
इसके अलावा, ग्लेशियरों से जुड़े जलवायु परिवर्तन आसपास के पर्यावरण को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, ग्लेशियरों की मौजूदगी स्थानीय मौसम के पैटर्न को प्रभावित कर सकती है, जो बदले में वनस्पतियों और जीवों को प्रभावित करती है। ग्लेशियर कवर के कारण होने वाले तापमान में बदलाव माइक्रोक्लाइमेट बना सकते हैं, जिससे ग्लेशियरों के नज़दीकी इलाकों में विविध पारिस्थितिकी तंत्र बन सकते हैं। संक्षेप में, ग्लेशियर परिदृश्य में बदलाव के शक्तिशाली एजेंट हैं। वे पृथ्वी को नष्ट करते हैं, सामग्री का परिवहन करते हैं, अद्वितीय भू-आकृतियाँ बनाते हैं और स्थानीय जलवायु को प्रभावित करते हैं। इन प्रक्रियाओं को समझना न केवल हमारे ग्रह की गतिशील प्रकृति को उजागर करता है, बल्कि हमारे रहने वाले वातावरण को आकार देने में ग्लेशियरों के महत्व को भी रेखांकित करता है। जलवायु परिवर्तन दुनिया भर में ग्लेशियरों के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा बन गया है, इसलिए इन प्राकृतिक अजूबों की सराहना करना और उनकी रक्षा करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके गायब होने से निस्संदेह हमारे परिदृश्य में और भी परिवर्तन होंगे।
मॉडल उत्तर
हिमनदों द्वारा उत्पन्न अपरदित भू-आकृतियाँ
हिमनदों द्वारा उत्पन्न निक्षेपित भू-आकृतियाँ
ये सभी भू-आकृतियाँ हिमनदों द्वारा अपरदन और निक्षेपण की प्रक्रियाओं के माध्यम से उत्पन्न होती हैं और इनकी विशेषताएँ उनके द्वारा किए गए भौतिक परिवर्तन की ओर इशारा करती हैं।