विद्युत खपत की बढ़ती माँग एवं लगातार घटते पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के कारण देश वर्तमान में विद्युत ऊर्जा की कमी से जूझ रहा है। इस विकट ऊर्जा खपत माँग को नियंत्रित करने के लिये वर्तमान में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी द्वारा प्रदत्त माध्यमों का विस्तार से वर्णन कीजिये। [64वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2018]
विद्युत खपत की बढ़ती मांग और ऊर्जा संकट
भारत में विद्युत खपत में लगातार वृद्धि हो रही है, और इस वृद्धि के साथ ही पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की कमी भी महसूस हो रही है। यह स्थिति विद्युत संकट को जन्म दे रही है, जिससे पूरे देश में आपूर्ति की समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। इस संकट को हल करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो ऊर्जा उत्पादन, वितरण और संरक्षण में कई नवाचारों को जन्म दे रही है।
1. विद्युत खपत की बढ़ती मांग
भारत में आर्थिक विकास और शहरीकरण के साथ-साथ विद्युत ऊर्जा की मांग भी बढ़ रही है। कृषि, उद्योग और घरेलू उपयोग के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता हो रही है। साथ ही, बिजली संकट का मुख्य कारण यह भी है कि पारंपरिक ऊर्जा स्रोत जैसे कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में कमी आ रही है, जबकि इन स्रोतों पर निर्भरता अधिक है।
आवश्यकता:
2. विज्ञान और प्रौद्योगिकी द्वारा समाधान
वर्तमान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विद्युत संकट के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसके माध्यम से न केवल ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है, बल्कि ऊर्जा संरक्षण और विकेंद्रीकरण के माध्यम से आपूर्ति में भी सुधार किया जा सकता है।
1. नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy)
भारत ने सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, और जैव ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग बढ़ाया है। ये ऊर्जा स्रोत पारंपरिक स्रोतों से कहीं अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल हैं।
2. ऊर्जा दक्षता (Energy Efficiency)
विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग ऊर्जा के प्रभावी उपयोग में किया जा रहा है। स्मार्ट ग्रिड, इलेक्ट्रिक वाहनों, और ऊर्जा दक्ष उपकरणों का उपयोग बढ़ने से विद्युत की खपत में कमी आ सकती है।
3. ऊर्जा भंडारण (Energy Storage)
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की प्रकृति के कारण उनकी निरंतरता पर निर्भर नहीं रह सकते हैं, जिससे ऊर्जा भंडारण तकनीक की आवश्यकता बढ़ी है। इस समस्या को हल करने के लिए बिजली स्टोरेज सिस्टम जैसे ब्याटरी बैंक और ग्रिड-scale बैटरी सिस्टम उपयोग में लाए जा रहे हैं।
4. जल विद्युत और परमाणु ऊर्जा (Hydroelectric and Nuclear Energy)
जल विद्युत ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा उत्पादन के स्थायी समाधान के रूप में देखे जा रहे हैं। इन दोनों से ऊर्जा का निरंतर उत्पादन किया जा सकता है।
3. स्मार्ट ग्रिड और डिजिटल समाधान
वर्तमान में डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ भी विद्युत खपत को नियंत्रित करने में मदद कर रही हैं। स्मार्ट मीटरिंग और उपभोक्ता डेटा विश्लेषण के माध्यम से बिजली खपत को मॉनीटर किया जा सकता है और अनावश्यक खपत को कम किया जा सकता है।
4. निष्कर्ष
विद्युत खपत की बढ़ती मांग और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की कमी के कारण उत्पन्न संकट से निपटने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने कई महत्वपूर्ण समाधान प्रस्तुत किए हैं। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का विस्तार, ऊर्जा दक्षता तकनीक, और ऊर्जा भंडारण प्रणाली के उपयोग से भारत अपने ऊर्जा संकट को हल कर सकता है। स्मार्ट ग्रिड और डिजिटल समाधान द्वारा बिजली वितरण और खपत को बेहतर किया जा सकता है, जिससे ऊर्जा संकट को नियंत्रित किया जा सकेगा।