भारत में नदियों का सुदृढ़ जाल होने के बाद भी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जो जलापूर्ति और विशेष रूप से पेयजल की कमी से जूझ रहे हैं। इस समस्या के समाधान हेतु जल प्रबंधन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की भूमिका की सोदाहरण विवेचना कीजिये। [64वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2018]
भारत में जल संकट:
भारत में नदियों का सुदृढ़ जाल होने के बावजूद जलापूर्ति और विशेष रूप से पेयजल की कमी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। यह समस्या समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्पन्न होती रहती है। विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन, बढ़ती जनसंख्या, और जल संसाधनों का अत्यधिक दोहन इसके मुख्य कारण हैं। जल संकट को हल करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
1. भारत में जल संकट का कारण
जलवायु परिवर्तन और वर्षा का अनिश्चित पैटर्न
भारत में जल संकट का एक प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन है, जिसके चलते वर्षा के पैटर्न में बदलाव हो रहा है। कुछ क्षेत्र अत्यधिक वर्षा से प्रभावित हैं, जबकि अन्य में सूखा और जलवायु की अनिश्चितता जल संकट को बढ़ा रही है।
जल का अत्यधिक दोहन
भारत में नदियाँ और जल स्रोत होते हुए भी जल का अत्यधिक दोहन हो रहा है। कृषि, उद्योग और घरेलू उपयोग के लिए जल का अत्यधिक उपयोग किया जा रहा है, जिसके कारण जलस्तर में कमी आ रही है।
2. विज्ञान और प्रौद्योगिकी का योगदान
जल पुनर्चक्रण (Water Recycling)
जल पुनर्चक्रण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें उपयोग किए गए जल को पुनः उपयोग योग्य बनाया जाता है। यह तकनीक जल संकट को दूर करने में मददगार हो सकती है।
वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting)
वर्षा जल संचयन एक पुरानी लेकिन प्रभावी तकनीक है, जो वर्षा के पानी को संचित कर पानी की कमी को दूर करने का प्रयास करती है।
जल प्रबंधन के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म
प्रौद्योगिकी का उपयोग जल प्रबंधन में किया जा रहा है। सेंसर्स, उपग्रह चित्रण और डेटा विश्लेषण के माध्यम से जल स्रोतों की निगरानी की जा रही है।
नदी जोड़ने की परियोजना (River Linking Project)
भारत में नदी जोड़ने की परियोजना को जल संकट के समाधान के रूप में देखा जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य विभिन्न नदियों के जल को जोड़कर जल की कमी वाले क्षेत्रों में जल की आपूर्ति करना है।
3. जल संकट समाधान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रभावशीलता
विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग भारत में जल संकट के समाधान के लिए निर्णायक भूमिका निभा सकता है। उपरोक्त तकनीकों से जल प्रबंधन को बेहतर बनाया जा सकता है, जल के उचित वितरण को सुनिश्चित किया जा सकता है और जल की बचत को बढ़ावा दिया जा सकता है।
4. निष्कर्ष
भारत में जल संकट को हल करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का महत्व बढ़ रहा है। जल पुनर्चक्रण, वर्षा जल संचयन, और नदी जोड़ने जैसी प्रौद्योगिकियाँ जल संकट से निपटने में सहायक हो सकती हैं। इन प्रयासों के साथ-साथ सरकार और समाज को भी जल का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए। इन तकनीकों का प्रभावी उपयोग भारत में जल संकट को हल करने में मदद कर सकता है, और भविष्य में जल की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित कर सकता है।