मौर्य कला तथा भवन निर्माण कला की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिये तथा बौद्ध धर्म के साथ उनके संबंध पर भी प्रकाश डालिये। [64वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2018]
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मौर्य साम्राज्य (322-185 ई.पू.) भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण काल था, जो कला और स्थापत्य के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदानों के लिए जाना जाता है। इस काल में भारतीय कला और वास्तुकला में बड़े बदलाव आए, जो विशेष रूप से सम्राट अशोक के शासनकाल में स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। मौर्य कला का गहरा संबंध बौद्ध धर्म से था, क्योंकि सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाया था और इसके प्रचार-प्रसार के लिए कला का उपयोग किया था।
मौर्य कला की विशेषताएँ
भवन निर्माण कला की विशेषताएँ
मौर्य काल के भवन निर्माण कला में कुछ प्रमुख विशेषताएँ थीं:
बौद्ध धर्म और मौर्य कला का संबंध
निष्कर्ष
मौर्य कला और भवन निर्माण कला ने भारतीय संस्कृति और स्थापत्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सम्राट अशोक के समय में बौद्ध धर्म का प्रचार और उसकी कलात्मक अभिव्यक्ति कला के माध्यम से की गई, जिसमें स्तूप, शिलालेख और अशोक स्तंभ प्रमुख थे। इन सभी ने भारतीय कला की धारा को एक नई दिशा दी और बौद्ध धर्म की शिक्षाओं को फैलाने में मदद की। मौर्य कला न केवल स्थापत्य और मूर्तिकला में, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक प्रचार में भी एक मील का पत्थर साबित हुई।