हाल के दिनों में भारतीय पार्टी की राजनीति पर बढ़ते क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के प्रभाव क्या हैं? [63वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2017]
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भारत में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। ये दल राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और अक्सर राष्ट्रीय दलों के साथ गठबंधन बनाने की आवश्यकता होती है। क्षेत्रीय दलों के बढ़ते प्रभाव ने भारतीय राजनीति की संरचना में कई महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं।
1. क्षेत्रीय दलों का बढ़ता प्रभाव
भारत में क्षेत्रीय दलों की बढ़ती ताकत और प्रभाव का मुख्य कारण देश के विभिन्न हिस्सों में उनके द्वारा किए गए चुनावी अभियानों और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना है। ये दल राष्ट्रीय दलों के मुकाबले अपने राज्यों में ज्यादा प्रभावी होते हैं, और इनकी राजनीति आमतौर पर स्थानीय लोगों की जरूरतों और उनकी समस्याओं पर केंद्रित रहती है।
उदाहरण:
2. राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव
क्षेत्रीय दलों का बढ़ता प्रभाव केवल राज्य स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि ये राष्ट्रीय राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ये दल कभी-कभी सरकार गठन में निर्णायक भूमिका निभाते हैं, विशेषकर जब कोई पार्टी पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं कर पाती।
उदाहरण:
3. क्षेत्रीय मुद्दों की प्रधानता
क्षेत्रीय दलों का सबसे महत्वपूर्ण योगदान यह है कि वे स्थानीय मुद्दों को राष्ट्रीय राजनीति में प्राथमिकता देते हैं। उदाहरण के तौर पर, किसान आंदोलन, भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन, बिहार में शिक्षा सुधार, और पानी, सड़क, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएँ हमेशा इनके चुनावी घोषणापत्र में प्रमुख मुद्दे होते हैं।
उदाहरण:
4. क्षेत्रीय दलों के लाभ और चुनौतियाँ
लाभ:
चुनौतियाँ:
5. निष्कर्ष
भारत में क्षेत्रीय दलों का बढ़ता प्रभाव एक बहुत ही महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन है। ये दल स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और केंद्र सरकार के निर्णयों में भी अपनी भूमिका निभाते हैं। हालांकि, इन दलों की राजनीति को कभी-कभी जातिवाद और क्षेत्रवाद जैसी समस्याओं से जोड़ा जाता है, लेकिन इनकी ताकत और प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता। आने वाले समय में, क्षेत्रीय दल भारतीय राजनीति में और अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।