क्या आप सहमत हैं कि भारतीय राजनीति आज मुख्य रूप से वर्णनात्मक राजनीति की बजाय विकास राजनीति के आस-पास घूमती है? बिहार के संदर्भ में चर्चा करें। [63वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2017]
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भारतीय राजनीति:
वर्णनात्मक राजनीति और विकास राजनीति भारतीय राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में दो प्रमुख धाराएँ हैं। पिछले कुछ दशकों में भारतीय राजनीति में विकास राजनीति की ओर झुकाव देखा गया है, लेकिन वर्णनात्मक राजनीति (जो मुख्य रूप से जातिवाद, धर्म, और क्षेत्रीय पहचान पर आधारित है) का प्रभाव भी आज भी महसूस किया जाता है। बिहार जैसे राज्यों में यह मुद्दा और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, जहाँ जातिवाद और क्षेत्रीय राजनीति का गहरा प्रभाव है। आइए हम इसे विस्तार से समझें।
1. वर्णनात्मक राजनीति का प्रभाव
वर्णनात्मक राजनीति वह राजनीति है जो समाज के विभिन्न वर्गों (जैसे जाति, धर्म, क्षेत्र) के आधार पर विकसित होती है। यह राजनीति लोगों को एक दूसरे से अलग करने के बजाय उनका एकीकृत रूप से विकास नहीं करती। बिहार में, वर्णनात्मक राजनीति आज भी बहुत प्रचलित है।
बिहार में वर्णनात्मक राजनीति के उदाहरण:
2. विकास राजनीति का उदय
हालाँकि बिहार में वर्णनात्मक राजनीति का प्रभाव अभी भी है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में विकास राजनीति का दबदबा बढ़ा है। विकास राजनीति का मतलब है, राजनीति का ऐसा रूप जो आम जनता के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, रोजगार, और अन्य बुनियादी ढांचे से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित होता है।
बिहार में विकास राजनीति के उदाहरण:
3. विकास राजनीति की ओर बढ़ता रुझान
बिहार में अब जातिवाद की राजनीति के साथ-साथ विकास पर आधारित राजनीति का रुझान बढ़ रहा है। यह बदलाव समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट करने की दिशा में है। जैसे:
4. निष्कर्ष
भारत की राजनीति आज भी जातिवाद, धर्म और क्षेत्रीय पहचान पर आधारित है, लेकिन इसके साथ ही विकास राजनीति की ओर रुझान बढ़ा है। बिहार जैसे राज्यों में जातिवाद और क्षेत्रीय राजनीति की जड़ें गहरी हैं, लेकिन विकास के मुद्दे जैसे बुनियादी ढांचे का सुधार, शिक्षा और स्वास्थ्य अब चुनावी एजेंडे का अहम हिस्सा बन चुके हैं। इससे यह माना जा सकता है कि विकास राजनीति का प्रभाव धीरे-धीरे वर्णनात्मक राजनीति से अधिक हो रहा है, और यह भारतीय राजनीति के लिए एक सकारात्मक परिवर्तन हो सकता है।