रोहिंग्या शरणार्थी संकट की आलोचनात्मक विवेचना कीजिये। इस संकट की उत्पत्ति एवं समाधान में म्यांमार, चीन, भारत एवं बांग्लादेश की भूमिका का वर्णन कीजिये। रोहिंग्या शरणार्थियों के संदर्भ में मानवाधिकारों के हनन पर प्रकाश डालिये। [63वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2017]
रोहिंग्या शरणार्थी संकट दक्षिण एशिया, विशेष रूप से म्यांमार, बांग्लादेश और भारत में एक गहरी मानवीय और राजनीतिक समस्या बन चुका है। यह संकट उन लाखों रोहिंग्या मुस्लिमों के कारण उत्पन्न हुआ है, जिन्हें म्यांमार में नागरिकता से वंचित किया गया और वे हिंसा और उत्पीड़न का शिकार बने। इस संकट ने न केवल मानवीय संकट उत्पन्न किया, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय राजनीति, मानवाधिकारों और क्षेत्रीय स्थिरता पर भी असर डाल रहा है।
संकट की उत्पत्ति
1. म्यांमार में उत्पीड़न
2. मानवाधिकारों का उल्लंघन
म्यांमार, चीन, भारत और बांग्लादेश की भूमिका
1. म्यांमार की भूमिका
2. चीन की भूमिका
3. भारत की भूमिका
4. बांग्लादेश की भूमिका
शरणार्थियों के मानवाधिकारों का हनन
संकट का समाधान और भविष्य की दिशा
निष्कर्ष
रोहिंग्या शरणार्थी संकट न केवल म्यांमार, बांग्लादेश, भारत और चीन जैसे देशों के लिए एक गहरी चुनौती है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए एक मानवाधिकार संकट भी है। इस संकट का समाधान केवल अंतरराष्ट्रीय सहयोग, म्यांमार की स्थिरता, और शरणार्थियों के अधिकारों की रक्षा में निहित है। जब तक इन पहलुओं को गंभीरता से नहीं लिया जाएगा, तब तक यह संकट जारी रहेगा और मानवाधिकारों का उल्लंघन बढ़ेगा।