कॉविड-19 की स्थितिक के कारण उत्पन्न हुई नौकरियों पर संकट की स्थिति को निमंत्रित करने तथा राष्ट्र के विकास की गति को बनाए रखने के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्या भूमिका निभा सकते हैं. इस पर विस्तार से चर्चा कीजिये। [65वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2019]
कोविड-19 संकट और रोजगार: विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका
कोविड-19 महामारी ने वैश्विक स्तर पर न केवल स्वास्थ्य संकट उत्पन्न किया, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी बाधित किया। भारत में, महामारी के कारण करोड़ों लोग अपनी नौकरियाँ खो बैठे और राष्ट्रीय विकास की गति में काफी कमी आई। इस संकट के दौरान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने न केवल महामारी से लड़ने में मदद की, बल्कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने, रोजगार सृजन, और विकास की गति को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1. स्वास्थ्य संकट का समाधान: साइंटिफिक और टेक्नोलॉजिकल इंटरवेंशन
(i) टीकाकरण अभियान
कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी टीकों का विकास और वितरण इसके नियंत्रण में महत्वपूर्ण साबित हुआ। भारतीय विज्ञान संस्थानों ने Covaxin और Covishield जैसे टीकों को विकसित किया, जिनका वितरण त्वरित गति से किया गया। इसने न केवल महामारी को नियंत्रित किया, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए सुरक्षा का माहौल प्रदान किया।
(ii) डिजिटल स्वास्थ्य सेवाएँ
विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने टेलीमेडिसिन और डिजिटल हेल्थकेयर समाधानों के रूप में एक नया रास्ता खोला। कोविड-19 के दौरान, Telemedicine और E-health सेवाओं ने जनता को घर बैठे डॉक्टरों से परामर्श लेने की सुविधा प्रदान की।
2. ऑनलाइन शिक्षा और कौशल विकास
(i) ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफॉर्म
कोविड-19 के कारण शैक्षिक संस्थान बंद हो गए थे, लेकिन विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने online education platforms जैसे Byju’s, Unacademy, और Coursera के माध्यम से शिक्षा को बाधित नहीं होने दिया। इससे छात्रों का ज्ञानार्जन जारी रहा, और रोजगार के अवसरों के लिए आवश्यक कौशल विकास की प्रक्रिया भी जारी रही।
(ii) कौशल प्रशिक्षण और पुनः प्रशिक्षण
लॉकडाउन के दौरान कई कंपनियों और सरकारी संस्थाओं ने डिजिटल कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित किया। इससे श्रमिकों को नए तकनीकी कौशल सीखने का अवसर मिला, जो उन्हें भविष्य के रोजगार के लिए तैयार करता है।
3. आर्थिक पुनर्निर्माण और रोजगार सृजन
(i) स्मार्ट और स्वचालित उत्पादन प्रणाली
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से Automation, AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), और IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) ने उद्योगों को कुशल और प्रतिस्पर्धी बनाया। महामारी के बाद इन तकनीकों ने उत्पादन प्रक्रिया को तेज किया और व्यवसायों को उनके संचालन को बहाल करने में मदद की।
(ii) वर्टिकल और दूरस्थ कार्य संस्कृति
महामारी के दौरान, कामकाजी जीवन में बदलाव आया। कई कंपनियों ने घर से काम करने की संस्कृति को अपनाया। इसमें cloud computing, digital collaboration tools, और AI ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके परिणामस्वरूप, कंपनियों ने अपनी कार्यशक्ति को फिर से व्यवस्थित किया, जिससे नौकरियों के नए अवसर उत्पन्न हुए।
4. माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (MSMEs) का समर्थन
(i) डिजिटल प्लेटफॉर्म पर MSME को बढ़ावा
MSMEs के लिए डिजिटल बाजारों की भूमिका महामारी के दौरान बढ़ गई। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से, इन छोटे उद्योगों को ऑनलाइन प्लेटफार्मों जैसे Amazon, Flipkart, और IndiaMART पर व्यापार करने का अवसर मिला, जिससे उनकी पहुंच वैश्विक स्तर तक बढ़ी और नए रोजगार सृजित हुए।
(ii) वित्तीय समर्थन और बैंकिंग प्रौद्योगिकी
कोविड-19 के दौरान, MSMEs को ऋण सहायता प्रदान करने के लिए डिजिटल बैंकिंग प्लेटफार्मों का उपयोग किया गया। इसके माध्यम से, छोटे व्यापारों को सरल प्रक्रिया से पूंजी मिल सकी, जो उनके पुनर्निर्माण में सहायक थी।
निष्कर्ष
कोविड-19 महामारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश, न केवल स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए, बल्कि राष्ट्र के आर्थिक विकास और रोजगार सृजन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। डिजिटल शिक्षा, ऑनलाइन कार्य, स्मार्ट उत्पादन, और वित्तीय सेवाओं ने इन क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाए हैं। आने वाले समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इन प्रयासों को और सुदृढ़ करना भारत को आर्थिक विकास के मार्ग पर स्थिर रखेगा और रोजगार सृजन के नए अवसर प्रदान करेगा।