बिहार लगातार बाढ़ तथा सूखे की प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता रहता है। इन आपदाओं के पूर्वानुमान तथा प्रबंधन में, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका हो सकती है? अपने उत्तर को प्रायोगिक उदाहरणों द्वारा समझाइए। [65वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2019]
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बिहार में बाढ़ और सूखे के प्रबंधन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका
बिहार में बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाएँ लगातार होती रहती हैं, जिससे राज्य की कृषि, अर्थव्यवस्था, और मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इन आपदाओं के पूर्वानुमान और प्रबंधन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सही उपयोग से न केवल आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सकता है, बल्कि इन आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर योजनाएँ भी बनाई जा सकती हैं।
1. बाढ़ का पूर्वानुमान और प्रबंधन
(i) उपग्रह आधारित मौसम डेटा
(ii) नदी जलस्तर की निगरानी
(iii) बाढ़ पूर्वानुमान मॉडल
(iv) बाढ़ नियंत्रण उपाय
2. सूखा प्रबंधन में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का योगदान
(i) जलवायु परिवर्तन का मॉनिटरिंग और भविष्यवाणी
(ii) कृषि प्रणाली और जलवायु आधारित खेती
(iii) भूजल पुनर्भरण तकनीक
(iv) मौसम आधारित चेतावनी प्रणाली
3. समग्र प्रबंधन और आपदा प्रतिक्रिया
(i) डेटा और सूचना प्रणाली
(ii) आपदा प्रतिक्रिया और पुनर्वास
निष्कर्ष
विज्ञान और प्रौद्योगिकी का सही उपयोग बिहार में बाढ़ और सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं के पूर्वानुमान और प्रबंधन में अत्यंत प्रभावी हो सकता है। उपग्रह आधारित डेटा, स्मार्ट सेंसर, जलवायु परिवर्तन मॉनिटरिंग, और कृषि में विज्ञान आधारित उपायों के माध्यम से इन आपदाओं से निपटना संभव है। इसके अतिरिक्त, डेटा आधारित निर्णय लेने और आपदा प्रतिक्रिया प्रणालियों के निर्माण से आपदाओं के प्रबंधन में सुधार किया जा सकता है।