सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रमों की नई परिभाषा बताइये। भारत में औद्योगिक वृद्धि की गति को तीव्र करने व आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता को सुनिश्चित करने में इन उपक्रमों की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। [65वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2019]
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सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम (MSME):
भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों (MSMEs) की परिभाषा को संशोधित किया। यह संशोधन उद्योगों को प्रोत्साहन देने और उनकी बाधाओं को कम करने के लिए किया गया।
नई परिभाषा (1 जुलाई 2020 से लागू)
MSME की भारत में औद्योगिक वृद्धि और आत्मनिर्भर भारत अभियान में भूमिका
1. औद्योगिक वृद्धि को प्रोत्साहन
MSMEs देश के कुल उत्पादन का 30% और कुल निर्यात का लगभग 48% योगदान करती हैं। ये 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देती हैं।
MSMEs क्षेत्र में स्टार्टअप्स और नवाचार को बढ़ावा देकर औद्योगिक विकास में योगदान करते हैं।
2. आत्मनिर्भर भारत अभियान में योगदान
MSMEs स्थानीय उत्पादों के विकास और आयात पर निर्भरता कम करने में मदद करती हैं।
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत MSMEs को वैश्विक बाजार से जोड़ने के लिए कई नीतियाँ बनाई गईं।
3. MSME क्षेत्र की चुनौतियाँ
MSMEs में आधुनिक तकनीक और मशीनीकरण की कमी के कारण उनकी प्रतिस्पर्धा घटती है।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में MSMEs की नीतियों का प्रभाव असमान है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान में MSMEs को सशक्त करने के उपाय
आलोचनात्मक मूल्यांकन
MSMEs आत्मनिर्भर भारत अभियान की रीढ़ हैं। यह क्षेत्र रोजगार और नवाचार के माध्यम से समग्र आर्थिक विकास को गति देता है।
MSMEs को संरचनात्मक और वित्तीय बाधाओं का सामना करना पड़ता है। नीतियों के क्रियान्वयन में धीमापन उनके विकास को बाधित करता है।
निष्कर्ष
MSMEs भारत के औद्योगिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान में उनकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए, वित्तीय सहायता, तकनीकी उन्नयन, और बाजार पहुँच में सुधार पर ध्यान देना आवश्यक है। यह क्षेत्र भारत को एक मजबूत और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।