पाल कला तथा भवन निर्माण कला की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिये तथा बौद्ध धर्म के साथ उनके संबंध पर भी प्रकाश डालिये। [65वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2019]
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पाल कला (Pala Art) भारतीय कला के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, और यह विशेष रूप से बिहार, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में विकसित हुई थी। इस कला का सबसे बड़ा प्रभाव बौद्ध धर्म पर पड़ा, जो उस समय के पाल शासकों द्वारा संरक्षण प्राप्त कर रहा था। आइए, इसकी विशेषताओं को विस्तार से समझते हैं और इसके बौद्ध धर्म से संबंध पर चर्चा करते हैं।
पाल कला की विशेषताएँ
बौद्ध धर्म के साथ पाल कला का संबंध
पाल शासक बौद्ध धर्म के प्रति अत्यधिक प्रतिबद्ध थे, और उनके शासन काल में बौद्ध धर्म को संरक्षण प्राप्त था। पाल कला के अधिकांश निर्माण कार्य बौद्ध धर्म से संबंधित थे, जैसे कि बौद्ध मठों और मंदिरों का निर्माण और बौद्ध मूर्तियों की स्थापना। बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को प्रसारित करने में पाल कला ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उदाहरण के लिए, विक्रमशिला और नालंदा जैसे स्थानों में बौद्ध शिक्षा और कला का सम्मिलन हुआ, और पाल शासकों ने बौद्ध धर्म के अंतर्राष्ट्रीयकरण को भी बढ़ावा दिया।
निष्कर्ष
पाल कला ने न केवल भारतीय कला को समृद्ध किया, बल्कि बौद्ध धर्म के प्रसार में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। शासकों द्वारा बौद्ध धर्म को बढ़ावा देने और कला के संरक्षण ने इस कला शैली को विशेष रूप से ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बना दिया।
पाल कला (Pala Art) भारतीय कला के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, और यह विशेष रूप से बिहार, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में विकसित हुई थी। इस कला का सबसे बड़ा प्रभाव बौद्ध धर्म पर पड़ा, जो उस समय के पाल शासकों द्वारा संरक्षण प्राप्त कर रहा था। आइए, इसकी विशेषताओं को विस्तार से समझते हैं और इसके बौद्ध धर्म से संबंध पर चर्चा करते हैं।
पाल कला की विशेषताएँ
बौद्ध धर्म के साथ पाल कला का संबंध
पाल शासक बौद्ध धर्म के प्रति अत्यधिक प्रतिबद्ध थे, और उनके शासन काल में बौद्ध धर्म को संरक्षण प्राप्त था। पाल कला के अधिकांश निर्माण कार्य बौद्ध धर्म से संबंधित थे, जैसे कि बौद्ध मठों और मंदिरों का निर्माण और बौद्ध मूर्तियों की स्थापना। बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को प्रसारित करने में पाल कला ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उदाहरण के लिए, विक्रमशिला और नालंदा जैसे स्थानों में बौद्ध शिक्षा और कला का सम्मिलन हुआ, और पाल शासकों ने बौद्ध धर्म के अंतर्राष्ट्रीयकरण को भी बढ़ावा दिया।
निष्कर्ष
पाल कला ने न केवल भारतीय कला को समृद्ध किया, बल्कि बौद्ध धर्म के प्रसार में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। शासकों द्वारा बौद्ध धर्म को बढ़ावा देने और कला के संरक्षण ने इस कला शैली को विशेष रूप से ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बना दिया।
पाल कला (Pala Art) भारतीय कला के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है, और यह विशेष रूप से बिहार, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में विकसित हुई थी। इस कला का सबसे बड़ा प्रभाव बौद्ध धर्म पर पड़ा, जो उस समय के पाल शासकों द्वारा संरक्षण प्राप्त कर रहा था। आइए, इसकी विशेषताओं को विस्तार से समझते हैं और इसके बौद्ध धर्म से संबंध पर चर्चा करते हैं।
पाल कला की विशेषताएँ
बौद्ध धर्म के साथ पाल कला का संबंध
पाल शासक बौद्ध धर्म के प्रति अत्यधिक प्रतिबद्ध थे, और उनके शासन काल में बौद्ध धर्म को संरक्षण प्राप्त था। पाल कला के अधिकांश निर्माण कार्य बौद्ध धर्म से संबंधित थे, जैसे कि बौद्ध मठों और मंदिरों का निर्माण और बौद्ध मूर्तियों की स्थापना। बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को प्रसारित करने में पाल कला ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उदाहरण के लिए, विक्रमशिला और नालंदा जैसे स्थानों में बौद्ध शिक्षा और कला का सम्मिलन हुआ, और पाल शासकों ने बौद्ध धर्म के अंतर्राष्ट्रीयकरण को भी बढ़ावा दिया।
निष्कर्ष
पाल कला ने न केवल भारतीय कला को समृद्ध किया, बल्कि बौद्ध धर्म के प्रसार में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। शासकों द्वारा बौद्ध धर्म को बढ़ावा देने और कला के संरक्षण ने इस कला शैली को विशेष रूप से ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बना दिया।