“प्रौद्योगिकी एक वरदान से अधिक अभिशाप है।” पर्यावरण प्रदूषण के संदर्भ में इस कथन की पुष्टि कीजिए। [67वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2022]
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“प्रौद्योगिकी एक वरदान से अधिक अभिशाप है” इस कथन को पर्यावरण प्रदूषण के संदर्भ में समझा जा सकता है क्योंकि आधुनिक प्रौद्योगिकियों ने जहां एक ओर जीवन को सरल और बेहतर बनाया है, वहीं दूसरी ओर इनसे उत्पन्न प्रदूषण ने पर्यावरण पर गहरे प्रभाव डाले हैं।
प्रौद्योगिकी और पर्यावरण प्रदूषण
प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से औद्योगिकीकरण और वाहन प्रदूषण, ने वायु, जल और मृदा प्रदूषण में वृद्धि की है। जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोल, डीजल) का दहन, जो अधिकतर ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोग होता है, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और पार्टिकुलेट मैटर जैसे प्रदूषकों को वायुमंडल में छोड़ता है, जिससे वायु प्रदूषण और धुंध का निर्माण होता है। इसके अलावा, औद्योगिक प्रक्रियाओं के दौरान भारी धातुओं, रासायनिक तत्वों और अन्य हानिकारक प्रदूषकों का उत्सर्जन होता है, जो जल और मृदा प्रदूषण का कारण बनता है। इन प्रदूषकों का मानव स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है, जैसे कि श्वसन रोग, कैंसर, और अन्य शारीरिक विकार।
तकनीकी समाधान और उनका प्रभाव
हालांकि, प्रौद्योगिकी ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कुछ समाधान भी प्रदान किए हैं। उदाहरण के तौर पर, पर्यावरण के लिए हानिकारक गैसों को कम करने के लिए किट्स और फिल्टर सिस्टम का विकास किया गया है। इसके अलावा, प्रदूषण नियंत्रण उपायों के रूप में बायोफिल्ट्रेशन, जल शोधन, और वायु शोधन जैसी तकनीकें पर्यावरण को बचाने के लिए प्रयुक्त की जा रही हैं।
निष्कर्ष
इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि प्रौद्योगिकी एक दोधारी तलवार की तरह है। यदि इसका उपयोग उचित तरीके से और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी से किया जाए, तो यह वरदान साबित हो सकती है। लेकिन यदि इसे अनियंत्रित रूप से इस्तेमाल किया जाए, तो यह अभिशाप भी बन सकती है, जैसा कि प्रदूषण के मामले में स्पष्ट है। इस स्थिति से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी का सही उपयोग और पर्यावरण के प्रति जागरूकता की आवश्यकता है