एक स्वतंत्र न्यायपालिका, जिसे ‘न्यायिक समीक्षा’ की शक्ति प्राप्त है, भारत के संविधान की एक प्रमुख विशेषता है। क्या आपको लगता है कि ‘न्यायिक सक्रियता’ ने सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों को और बढ़ा दिया है? उदाहरण सहित समझाइए। [67वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2022]
भारत का संविधान एक स्वतंत्र न्यायपालिका को स्थापित करता है, जो न केवल कानूनों के पालन को सुनिश्चित करती है, बल्कि यह सुनिश्चित करने की भी जिम्मेदारी निभाती है कि केंद्र और राज्य सरकारें संविधान के अनुसार कार्य करें। न्यायिक समीक्षा की शक्ति, जो सर्वोच्च न्यायालय को प्राप्त है, यह अधिकार देती है कि वह संसद और राज्य विधानसभाओं द्वारा बनाए गए कानूनों और सरकारी कार्यों की संवैधानिक वैधता की जांच कर सके। समय के साथ, ‘न्यायिक सक्रियता’ (Judicial Activism) ने सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों को बढ़ाया है, जिससे न्यायपालिका का प्रभाव और भी सशक्त हुआ है।
इस लेख में हम यह विश्लेषण करेंगे कि न्यायिक सक्रियता ने सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों को कैसे बढ़ाया और इसके क्या प्रभाव पड़े हैं।
न्यायिक समीक्षा की शक्ति
न्यायिक सक्रियता और सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों में वृद्धि
न्यायिक सक्रियता के प्रभाव