‘काड’ की उत्पत्ति, सदस्यता, विकास एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए। भारत के लिए इसका क्या महत्त्व है? [67वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2022]
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काड (QUAD) की उत्पत्ति, सदस्यता, विकास एवं उद्देश्यों का वर्णन और भारत के लिए इसका महत्त्व
प्रस्तावना
काड (QUAD), या ‘क्वाड्रिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग’, एक अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक गठबंधन है, जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। इस समूह का उद्देश्य विशेष रूप से क्षेत्रीय सुरक्षा, सामरिक सहयोग और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। यह समूह विशेष रूप से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण है।
काड की उत्पत्ति
काड की शुरुआत 2007 में हुई थी, जब जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने पहली बार भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक सुरक्षा सहयोग का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव का उद्देश्य इन देशों के बीच समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना था। हालांकि, 2008 में कुछ मतभेदों और असहमति के कारण इस गठबंधन को स्थगित कर दिया गया था। फिर, 2017 में इस समूह को फिर से पुनर्जीवित किया गया और आज यह एक स्थायी और प्रभावी गठबंधन बन चुका है।
काड की सदस्यता
काड के सदस्य चार देश हैं:
काड का विकास
काड ने 2017 के बाद एक नया मोड़ लिया, जब इस समूह ने एक औपचारिक रूप से नियमित संवाद और समन्वय स्थापित किया। इस गठबंधन में उच्च-स्तरीय वार्ता, संयुक्त सैन्य अभ्यास, और अन्य रणनीतिक साझेदारियों की शुरुआत की गई। काड देशों ने अपनी सामूहिक सुरक्षा रणनीतियों को स्पष्ट करते हुए, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में लोकतांत्रिक मूल्यों, समुद्री सुरक्षा, और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के पालन की बात की।
काड के उद्देश्य
काड के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
भारत के लिए काड का महत्त्व
भारत के लिए काड का कई दृष्टिकोणों से महत्त्व है:
निष्कर्ष
काड (QUAD) भारत के लिए न केवल एक सुरक्षा मंच है, बल्कि यह एक बहुपक्षीय रणनीतिक सहयोग भी है जो भारत को वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है। यह समूह क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और सामरिक ताकत को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। काड के माध्यम से भारत को अपनी सुरक्षा, आर्थिक विकास और वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने का एक मजबूत मंच मिला है।