1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन पर एक निबन्ध लिखिए। क्या यह एक अनायास ही होने वाला आन्दोलन था? [67वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2022]
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प्रस्तावना
भारत छोड़ो आन्दोलन (Quit India Movement) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक निर्णायक और महत्वपूर्ण चरण था। 9 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी ने “अंग्रेजों भारत छोड़ो” का नारा देते हुए इस आन्दोलन की शुरुआत की। यह आन्दोलन भारत को विदेशी शासन से मुक्त कराने की भारतीय जनता की असीमित लालसा और दृढ़ निश्चय का प्रतीक था।
भारत छोड़ो आन्दोलन का पृष्ठभूमि
इस आन्दोलन की नींव द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि में रखी गई थी। अंग्रेजों ने बिना भारतीय नेताओं की सहमति के भारत को इस युद्ध में झोंक दिया था। ब्रिटिश शासन का दमनकारी रवैया, भारतीयों के मूलभूत अधिकारों का हनन और युद्ध के कारण बढ़ती आर्थिक समस्याएं इस आन्दोलन के प्रमुख कारण थे। इसके अलावा:
भारत छोड़ो आन्दोलन का आरंभ
8 अगस्त 1942 को मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में कांग्रेस ने एक विशेष अधिवेशन आयोजित किया। महात्मा गांधी ने इसमें “करो या मरो” (Do or Die) का आह्वान किया। इसके तुरंत बाद, ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस के प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया, जिसमें महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल शामिल थे। इससे जनता में गहरी असंतोष की भावना फैल गई, और देशभर में विरोध प्रदर्शन होने लगे।
आन्दोलन की प्रमुख घटनाएँ और प्रभाव
आन्दोलन के दौरान प्रमुख गतिविधियाँ:
आन्दोलन के परिणाम:
क्या यह अनायास ही होने वाला आन्दोलन था?
नहीं, भारत छोड़ो आन्दोलन अनायास नहीं था। यह संगठित और पूर्व-निर्धारित आन्दोलन था। इसके लिए जनता को जागरूक किया गया था, आन्दोलन के लिए वातावरण तैयार था, और इसका उद्देश्य स्पष्ट था। इसके मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
निष्कर्ष
1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस आन्दोलन ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब भारतीय जनता ब्रिटिश शासन को बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं है। यह आन्दोलन अनायास नहीं था, बल्कि वर्षों की संघर्ष, प्रेरणा और राष्ट्रीय चेतना का परिणाम था जिसने भारत की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया।