वर्तमान में विश्व के अनेक राष्ट्रों के वैज्ञानिकों का एक प्रमुख ध्येय दूसरे ग्रहों पर जीवन की खोज है। भारत के द्वारा अंतरिक्ष शोध के विकास की विवेचना, विशेष रूप से 21वीं सदी में, इस ध्येय की पूर्ति के लिए कीजिए। [66वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2020]
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भारत द्वारा अंतरिक्ष शोध में विकास: 21वीं सदी में जीवन की खोज
वर्तमान समय में अंतरिक्ष में जीवन की खोज एक प्रमुख वैज्ञानिक उद्देश्य बन चुका है। विश्वभर में वैज्ञानिक अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं का अध्ययन कर रहे हैं। भारत ने भी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, विशेषकर 21वीं सदी में, और अंतरिक्ष अनुसंधान में अपनी स्थिति को मजबूत किया है।
भारत का अंतरिक्ष मिशन: प्रमुख उपलब्धियाँ
1. मार्स ऑर्बिटर मिशन (Mangalyaan)
भारत ने 5 नवंबर 2013 को मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM), जिसे आमतौर पर मंगलयान के नाम से जाना जाता है, लॉन्च किया। यह मिशन भारत का पहला मंगल ग्रह पर भेजा गया उपग्रह था। इसकी सफलता ने भारत को मंगल ग्रह पर सबसे कम लागत में मिशन भेजने वाला देश बना दिया। इस मिशन का उद्देश्य मंगल ग्रह के वातावरण, सतह, और वहां जीवन की संभावनाओं का अध्ययन करना था।
महत्वपूर्ण तथ्य:
2. चंद्रयान-2 मिशन
भारत ने 22 जुलाई 2019 को चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर पानी और अन्य खनिजों का पता लगाना था। यह मिशन अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की महत्वाकांक्षाओं को और बढ़ाता है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
3. गगनयान मिशन (मैन्ड मिशन)
भारत का गगनयान मिशन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण कदम है और भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा में भारतीय वैज्ञानिकों की भागीदारी को सुनिश्चित करेगा।
महत्वपूर्ण तथ्य:
अंतरिक्ष में जीवन की खोज: भारत की भूमिका
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम जीवन की संभावनाओं को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मंगल और चंद्रमा पर जीवन की संभावनाओं को लेकर कई मिशन लॉन्च किए हैं। इन मिशनों का उद्देश्य न केवल अन्य ग्रहों की संरचना और सतह की जानकारी प्राप्त करना है, बल्कि उन ग्रहों पर जीवन के संकेतों की भी तलाश करना है।
मंगल पर जीवन की खोज
वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल ग्रह पर कभी जीवन हो सकता है, क्योंकि वहां पानी की मौजूदगी के संकेत मिल चुके हैं। भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन ने मंगल ग्रह पर मीथेन गैस की उपस्थिति का पता लगाया, जो जीवन के संभावित संकेत हो सकते हैं। इसके अलावा, शोधकर्ता वहां के वातावरण और सतह पर जीवन की स्थितियों की जांच कर रहे हैं।
चंद्रमा पर जीवन के संकेत
भारत के चंद्रयान-2 मिशन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की बर्फ की उपस्थिति का संकेत दिया, जो भविष्य में चंद्रमा पर जीवन के लिए आवश्यक जल स्रोत का संकेत हो सकता है। यह शोध इस दिशा में अहम भूमिका निभाता है, जिससे भविष्य में चंद्रमा पर स्थायी मानव बस्तियों की संभावना को बल मिलता है।
निष्कर्ष
भारत ने 21वीं सदी में अंतरिक्ष अनुसंधान में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। मंगलयान, चंद्रयान-2 और गगनयान जैसे मिशनों ने भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया है। इन शोधों से प्राप्त जानकारी से अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावना का अध्ययन किया जा रहा है। भारत के इन प्रयासों से न केवल विज्ञान की सीमाओं को बढ़ाया गया है, बल्कि भविष्य में अन्य ग्रहों पर जीवन की खोज में भी योगदान दिया जा रहा है।