जनांकिकी लाभांश से आप क्या समझते हैं? यू० एन० एफ० पी० ए० की रिपोर्ट के अनुसार, भारत विशेष रूप से बिहार को इसके लाभ उठाने के अवसर किस समय तक प्राप्त होंगे? बिहार द्वारा इस संबंध में उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालिए। [66वीं बीपीएससी मुख्य परीक्षा 2020]
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जनांकिकी लाभांश: परिभाषा और महत्व
जनांकिकी लाभांश (Demographic Dividend) वह स्थिति होती है जब एक देश की कार्यशील आयु वर्ग (15-59 वर्ष) की जनसंख्या ज्यादा होती है और आश्रित आयु वर्ग (बालक और बुजुर्ग) कम होता है। इसका अर्थ है कि कार्यशील जनसंख्या का अनुपात उच्च होता है, जिससे उत्पादकता और आर्थिक वृद्धि में वृद्धि के अवसर उत्पन्न होते हैं। यह एक प्रकार से आर्थिक विकास की स्थिति का संकेत है, जब देश के पास कार्यशील जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा उपलब्ध होता है, जो विकास के लिए श्रम, उत्पादन और उपभोग में भागीदार बनता है।
यूएनएफपीए की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार को जनांकिकी लाभांश के अवसर कब तक मिलेंगे?
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में विशेष रूप से बिहार को जनांकिकी लाभांश के अवसर 2040 तक प्राप्त होंगे। इस अवधि के दौरान बिहार में कार्यशील जनसंख्या का अनुपात अधिक रहेगा, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार की संभावनाएं बनती हैं। इसके बाद, 2040 के बाद यह अनुपात घटने लगेगा, जिससे जनांकिकी लाभांश का प्रभाव कम हो जाएगा।
बिहार द्वारा उठाए गए कदम
बिहार ने जनांकिकी लाभांश को प्राप्त करने और उसका अधिकतम उपयोग करने के लिए कई कदम उठाए हैं:
1. शिक्षा क्षेत्र में सुधार
2. स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार
3. कौशल विकास कार्यक्रम
4. उद्यमिता को प्रोत्साहन
5. महिला सशक्तिकरण योजनाएं
निष्कर्ष
जनांकिकी लाभांश एक बड़ी संभावना है, जो बिहार जैसे राज्य के लिए आर्थिक विकास में मददगार साबित हो सकता है। हालांकि, इसका पूरा लाभ तभी उठाया जा सकता है जब राज्य अपनी कार्यशील आयु वर्ग की शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, और रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए और अधिक प्रभावी कदम उठाए। बिहार सरकार द्वारा उठाए गए कदम सकारात्मक हैं, लेकिन इनका प्रभाव बढ़ाने के लिए और सुधारों की आवश्यकता है।