रोडमैप: प्रश्न उत्तर लेखन
1. प्रस्तावना
- भारत में ऊर्जा की बढ़ती मांग और पर्यावरणीय संकट को देखते हुए गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की आवश्यकता।
- गैर-पारंपरिक ऊर्जा के लाभों का संक्षिप्त परिचय।
2. गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की सूची
- सौर ऊर्जा
- सौर पैनल और सौर तापीय प्रणाली।
- पवन ऊर्जा
- पवन टरबाइन और उनकी कार्यप्रणाली।
- जैव ऊर्जा
- जैविक अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन।
- जल ऊर्जा
- जलाशयों में जल की गति से ऊर्जा का उत्पादन।
- भू-तापीय ऊर्जा
- पृथ्वी की आंतरिक गर्मी से ऊर्जा का उत्पादन।
3. पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा देने में महत्ता
- कम कार्बन उत्सर्जन:
- गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम होता है।
- संसाधनों की स्थिरता:
- ये स्रोत नवीकरणीय हैं और दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- स्थानीय रोजगार सृजन:
- इन स्रोतों के विकास से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
4. उदाहरण और आंकड़े
- सौर ऊर्जा:
- भारत में सौर ऊर्जा क्षमता 2021 में लगभग 50 GW थी (आधिकारिक स्रोत: MNRE, भारत)।
- पवन ऊर्जा:
- भारत की पवन ऊर्जा क्षमता 2021 में 39.2 GW थी (आधिकारिक स्रोत: MNRE, भारत)।
- जैव ऊर्जा:
- जैव ऊर्जा से 2021 में लगभग 5 GW ऊर्जा उत्पादन किया गया (आधिकारिक स्रोत: MNRE, भारत)।
- जल ऊर्जा:
- भारत में जल ऊर्जा की कुल क्षमता लगभग 45 GW है (आधिकारिक स्रोत: MNRE, भारत)।
5. निष्कर्ष
- गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की भूमिका और भविष्य की संभावनाएं।
- सरकार की नीतियों और योजनाओं पर प्रकाश डालना।
संबंधित तथ्य
- सौर ऊर्जा:
- “भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता 2030 तक 300 GW तक पहुंचने का लक्ष्य है।” (स्रोत: MNRE, भारत)
- पवन ऊर्जा:
- “भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा पवन ऊर्जा उत्पादक देश है।” (स्रोत: GWEC)
- जैव ऊर्जा:
- “जैव ऊर्जा स्रोतों से 10-20% ऊर्जा उत्पादन ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा सकता है।” (स्रोत: IEA)
- जल ऊर्जा:
- “जल ऊर्जा का उपयोग बिजली उत्पादन में सबसे पुराना और विश्वसनीय तरीका है।” (स्रोत: NHAI)
- भू-तापीय ऊर्जा:
- “भारत में भू-तापीय ऊर्जा का उपयोग अभी सीमित है, लेकिन इसमें अपार संभावनाएं हैं।” (स्रोत: MNRE)
इस रोडमैप का पालन करके एक संपूर्ण और प्रभावी उत्तर लिखा जा सकता है जो प्रश्न के सभी पहलुओं को कवर करता है।
मॉडल उत्तर
भारत में उपलब्ध विभिन्न गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत
1. सौर ऊर्जा
भारत में सौर ऊर्जा की उपलब्धता 300 से 330 दिनों तक प्रति दिन 5-7 किलोवाट (kWh) प्रति वर्ग मीटर है। यह प्रति वर्ग किलोमीटर भूमि में 20 मेगावाट क्षमता का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए पर्याप्त है। भारत का लक्ष्य वर्ष 2022 तक 100 गीगावाट (GW) सौर ऊर्जा उत्पन्न करना है। प्रमुख राज्यों में तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और राजस्थान शामिल हैं। विश्व का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा पार्क जोधपुर के भड़ला में स्थित है (Source: MNRE)।
2. पवन ऊर्जा
भारत में पवन ऊर्जा की कुल क्षमता 302 गीगावाट है, जो धरातल से 100 मीटर की ऊंचाई पर मापी जाती है। राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में पवन ऊर्जा उत्पादन के लिए अनुकूल स्थितियां हैं। भारत ने वर्ष 2022 तक 60 गीगावाट पवन ऊर्जा उत्पन्न करने का लक्ष्य निर्धारित किया है (Source: MNRE)।
3. जैव-ऊर्जा
जैव-ऊर्जा जैविक उत्पादों से प्राप्त ऊर्जा है, जिसमें कृषि अवशेष, नगरपालिका अपशिष्ट, और औद्योगिक अपशिष्ट शामिल हैं। भारत में बायोमास की वर्तमान उपलब्धता लगभग 750 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष है, जिसमें 28 गीगावाट ऊर्जा की क्षमता है। भारत ने वर्ष 2022 तक 10 गीगावाट ऊर्जा उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है (Source: MNRE)।
4. जल ऊर्जा
लघु जल विद्युत संयंत्रों की क्षमता 25 मेगावाट या उससे कम होती है। भारत में अनुमानित 20 गीगावाट की जल विद्युत क्षमता है, विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में। भारत ने वर्ष 2022 तक लघु जल विद्युत से 5 गीगावाट ऊर्जा प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है (Source: MNRE)।
5. ज्वारीय और तरंग ऊर्जा
भारत में ज्वारीय ऊर्जा की क्षमता लगभग 12,500 मेगावाट और तरंग ऊर्जा की 41,000 मेगावाट है। प्रमुख स्थल खंभात की खाड़ी और कच्छ की खाड़ी हैं। हालांकि, इनका व्यावसायिक उपयोग अभी तक नहीं हुआ है (Source: MNRE)।
6. भूतापीय ऊर्जा
भारत में भूतापीय ऊर्जा का उपयोग अभी प्रारंभिक चरण में है। संभावित स्थल बिहार, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और उत्तराखंड में हैं (Source: MNRE)।
पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा प्रदान करने में महत्व
गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत पर्यावरण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये ऊर्जा स्रोत न केवल गैर-प्रदूषणकारी हैं, बल्कि अक्षय भी हैं। पारंपरिक स्रोतों के विपरीत, जो लाखों वर्षों में नवीनीकरण होते हैं, गैर-पारंपरिक स्रोत निरंतर उपलब्ध रहते हैं और पर्यावरण को भी सुरक्षित रखते हैं। इस प्रकार, ये ऊर्जा स्रोत भारत के ऊर्जा सुरक्षा और स्थायी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भारत में गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत
प्रमुख ऊर्जा स्रोत
पर्यावरण-अनुकूल महत्ता
गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को कम करता है। ये स्रोत:
इन ऊर्जा स्रोतों का विकास भारत को पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा समाधान की दिशा में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।