बच्चों को गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया को समझाने के लिए आपको एक गैर-सरकारी संगठन ने सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में रखा है। आपको किसी बच्चे को गोद लेने की सम्पूर्ण कानूनी प्रक्रिया को समझाना है। गोद लेने और निर्णय लेने की यह प्रक्रिया लंबी और जटिल है। क्योंकि भावी माता-पिता को कानूनी बाधाओं का भी सामना करना पड़ सकता है। भारत में किशोर न्याय बोर्ड किसी बच्चे को गोद में दे सकता है जो अदालत के लिए प्रतिबद्ध है। संरक्षक और प्रतिपाल्य अधिनियम, 1890 (GAWA) के तहत गोद लेने की प्रक्रिया केंद्रीय दत्तक संसाधन संस्था (CARA) भारत में गोद लेने वाले प्राथमिक वैधानिक निकाय है। इस प्रक्रिया में देश और अंतरदेशीय गोद लेने की दोनों व्यवस्थाएँ शामिल हैं। इसके लिए एक लम्बी प्रक्रिया से गुजरना आवश्यक है, जिसमें सबसे पहला चरण पंजीकरण करना है। केंद्रीय दत्तक संसाधन संस्था (CARA) के तहत एक ऑनलाइन पोर्टल पर आवश्यक सूचनाएँ देनी होती है। भावी माता-पिता को गोद लेने की वरीयताओं से संबन्धित जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता होती है। अपनी पहचान संबंधी सभी दस्तावेज देना आवश्यक है, जिसमें जन्म प्रमाणपत्र, विवाह प्रमाणपत्र, आयकर रिटर्न, चिकित्सा प्रमाणपत्र आदि शामिल हैं। ये औपचारिकताएँ पूरी होने के बाद भावी दत्तक माता-पिता को एक पंजीकरण संख्या प्रदान की जाती है। इसके बाद दूसरा चरण गृह अध्ययन का है जिसके तहत भावी माता-पिता का भौतिक सत्यापन उनके घर पर जाकर किया जाता है। तीसरा चरण बच्चे और माता-पिता के समुचित मिलान का होता है, जिसमें बच्चे के विकास के अनुकूल माहौल को प्राथमिकता दी जाती है। चौथा और महत्वपूर्ण चरण है न्यायालय की सम्पूर्ण प्रक्रिया के नियमों का अनुपालन जिसके तहत भावी माता-पिता को बच्चा सौपा जाता है।