आप भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचलित जागरूकता अभियान “महिलाएँ घरेलू हिंसा से कैसे बचें” से जुड़ी महिला एक्टिविस्ट हैं। समाज में लैंगिक हिंसा बहुत संवेदनशील मुद्दा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एन.एच.एफ.एस.- 4) की रिपोर्ट के अनुसार 15 वर्ष की आयु के बाद से हर तीसरी महिलाओं ने देश में विभिन्न रूपों की घरेलू हिंसा का सामना किया है। सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 15 साल की उम्र से 27 प्रतिशत महिलाओं ने शारीरिक हिंसा का अनुभव किया है। घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 घरेलू हिंसा को स्पष्ट परिभाषित करता है, जो बहुत व्यापक है और इसमें शारीरिक, भावनात्मक, मौखिक, यौन और आर्थिक हिंसा के सभी प्रकार शामिल हैं। लेकिन घरेलू महिला हिंसा को रोकने की लाचारी इस बात में निहित है कि भारतीय महिलाएँ आश्चर्यजनक रूप से घरेलू हिंसा का समर्थन करती दिखती हैं। घरेलू हिंसा की स्वीकृति का मुख्य कारण अशिक्षा है। भारत में गरीबी, गैर-बराबरी, हिंसा और अशिक्षा का वातावरण महिला हिंसा के ग्राफ को बढ़ाता है। कोविड़-19 संकट के दौरान तो घरेलू हिंसा की घटनाएँ बहुत तेजी से बढ़ी। आप इस जागरूकता अभियान के तहत घरेलू हिंसा उन्मूलन अधिनियम, 2005 के बारे में महिलाओं को कैसे जागरूक करेंगी, आपकी प्राथमिकता में क्या-क्या होगा ?
- घरेलू महिला हिंसा को स्पष्ट कीजिए ।
- शिक्षा से महिला हिंसा का क्या संबंध है? स्पष्ट कीजिए ।
- समाज में महिला हिंसा के समाधान सुझाइए ।
- घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 क्या है ?
- लॉकडाउन के दौरान महिला हिंसा का ग्राफ क्यों बढ़ा ?
घरेलू महिला हिंसा की स्पष्टता
घरेलू हिंसा महिलाओं के खिलाफ शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक, मौखिक, यौन और आर्थिक हिंसा को संदर्भित करती है। यह घरेलू जीवन में महिलाओं को हिंसा और अपमान का शिकार बनाती है, जिससे उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति प्रभावित होती है।
शिक्षा और महिला हिंसा का संबंध
अशिक्षा घरेलू हिंसा को बढ़ावा देती है। शिक्षा के अभाव में महिलाएँ अपने अधिकारों और घरेलू हिंसा के खिलाफ कदम उठाने के तरीके नहीं जान पातीं। अगर महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में बताया जाए, तो वे हिंसा को स्वीकारने के बजाय विरोध कर सकती हैं।
समाज में महिला हिंसा के समाधान
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005
यह अधिनियम घरेलू हिंसा को रोकने और महिलाओं के अधिकारों का संरक्षण करने के लिए बनाया गया है। इसके तहत महिलाओं को कानूनी सुरक्षा, आर्थिक सहायता और शारीरिक हिंसा से बचाव की सुविधा दी जाती है।
लॉकडाउन के दौरान महिला हिंसा में वृद्धि
कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान महिलाओं को उनके अभ्यूक्तों के साथ घर में बंद रहना पड़ा, जिससे हिंसा की घटनाएँ बढ़ गई। आर्थिक तनाव, मानसिक दबाव, और सामाजिक अलगाव इसके प्रमुख कारण थे।