उत्तर लिखने का रोडमैप
इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए निम्नलिखित संरचना का पालन करें:
1. परिचय
- राष्ट्रपति शासन की परिभाषा दें। यह बताएं कि यह किस प्रकार केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार का निलंबन है और राज्यपाल को मुख्य कार्यकारी बना देता है।
2. राष्ट्रपति शासन लगाने की परिस्थितियाँ
- अनुच्छेद 356:
- यह बताएं कि संवैधानिक तंत्र की विफलता के कारण राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- राज्यपाल की रिपोर्ट या राष्ट्रपति की संतोषजनक जानकारी का संदर्भ दें।
- स्रोत: भारतीय संविधान, अनुच्छेद 356।
- अनुच्छेद 365:
- निम्नलिखित परिस्थितियों को उल्लेख करें:
- राज्य विधायिका का मुख्यमंत्री का चुनाव करने में विफलता।
- गठबंधन सरकार का गिरना।
- विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित होना।
- चुनावों के स्थगन का कारण, जैसे प्राकृतिक आपदाएँ।
- स्रोत: भारतीय संविधान, अनुच्छेद 365।
- निम्नलिखित परिस्थितियों को उल्लेख करें:
3. राष्ट्रपति शासन लागू करने की प्रक्रिया
- प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से समझाएं:
- राष्ट्रपति की उद्घोषणा और उसकी आवश्यकताओं को बताएं।
- यह उल्लेख करें कि यह उद्घोषणा संसद के दोनों सदनों द्वारा दो महीने के भीतर स्वीकृत होनी चाहिए।
- प्रारंभिक अवधि (छह महीने) और विस्तार की प्रक्रिया (अधिकतम तीन साल) का उल्लेख करें।
- स्रोत: भारतीय संविधान, अनुच्छेद 356 और 365।
4. राष्ट्रपति शासन के प्रभाव
- राष्ट्रपति शासन लागू होने पर होने वाले मुख्य प्रभावों को सूचीबद्ध करें:
- राज्य मंत्रिपरिषद का बर्खास्त होना।
- राज्यपाल का कार्यकारी प्राधिकारी बनना।
- राज्य विधानसभा का निलंबन या भंग होना।
- शक्तियों का हस्तांतरण संसद की ओर होना।
- स्रोत: भारतीय संविधान।
- राष्ट्रपति शासन के दुरुपयोग के संदर्भ में आलोचना को भी शामिल करें और 44वें संविधान संशोधन का उल्लेख करें:
- यह बताएं कि राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा को न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।
- एस. आर. बोम्मई मामले का उल्लेख करें, जिसमें न्यायपालिका की समीक्षा की बात की गई है।
- स्रोत: एस. आर. बोम्मई मामला, उच्चतम न्यायालय; 44वां संविधान संशोधन अधिनियम।
5. निष्कर्ष
- राष्ट्रपति शासन की स्थिति को संक्षेप में पुनঃ उल्लेख करें और इसकी आवश्यकता या दुरुपयोग की संभावनाओं पर प्रकाश डालें।
उपयोगी तथ्य और स्रोत
- राष्ट्रपति शासन की परिभाषा:
- तथ्य: राष्ट्रपति शासन में राज्य सरकार का निलंबन और केंद्र का प्रत्यक्ष शासन लागू होता है।
- स्रोत: भारतीय संविधान।
- अनुच्छेद 356 के अंतर्गत:
- तथ्य: राष्ट्रपति शासन संवैधानिक तंत्र की विफलता के आधार पर लगाया जाता है।
- स्रोत: भारतीय संविधान, अनुच्छेद 356।
- अनुच्छेद 365 के अंतर्गत:
- तथ्य: राज्य विधानसभा का मुख्यमंत्री का चुनाव न करना या गठबंधन सरकार का गिरना राष्ट्रपति शासन के औचित्य में आता है।
- स्रोत: भारतीय संविधान, अनुच्छेद 365।
- प्रक्रिया विवरण:
- तथ्य: राष्ट्रपति की उद्घोषणा को संसद से स्वीकृति प्राप्त करनी होती है।
- स्रोत: भारतीय संविधान, अनुच्छेद 356 और 365।
- प्रभाव:
- तथ्य: राष्ट्रपति शासन लागू होने पर राज्य मंत्रिपरिषद बर्खास्त हो जाती है और राज्यपाल कार्यकारी बनता है।
- स्रोत: भारतीय संविधान।
- दुरुपयोग की समस्याएँ:
- तथ्य: राष्ट्रपति शासन के दुरुपयोग को 44वें संविधान संशोधन में न्यायालय में चुनौती देने की व्यवस्था दी गई है।
- स्रोत: एस. आर. बोम्मई मामला, उच्चतम न्यायालय; 44वां संविधान संशोधन अधिनियम।
इस संरचना और तथ्यों का उपयोग करके, एक सामंजस्यपूर्ण और संपूर्ण उत्तर तैयार किया जा सकता है।
मॉडल उत्तर
राष्ट्रपति शासन लागू करने की परिस्थितियाँ
राष्ट्रपति शासन का अर्थ है राज्य सरकार का निलंबन और केंद्र का प्रत्यक्ष शासन स्थापित होना। राष्ट्रपति शासन दो मुख्य आधारों पर लागू किया जा सकता है:
राष्ट्रपति शासन लागू करने की प्रक्रिया
राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए, उपरोक्त शर्तें पूरी होने पर राष्ट्रपति एक उद्घोषणा जारी करते हैं। यह उद्घोषणा संसद के दोनों सदनों द्वारा दो महीने के भीतर स्वीकृत होनी चाहिए, जिसमें साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है। राष्ट्रपति शासन शुरू में छह महीने के लिए प्रभावी रहता है और इसे अधिकतम तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है अगर हर छह महीने में संसद इसे स्वीकार करती है।
राष्ट्रपति शासन के प्रभाव
जब राष्ट्रपति शासन लागू होता है, तो राष्ट्रपति राज्य मंत्रिपरिषद, जिसमें मुख्यमंत्री शामिल हैं, को बर्खास्त कर देते हैं। राज्य का राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में शासन चलाते हैं, इसके लिए वे मुख्य सचिव या राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त सलाहकारों की मदद लेते हैं। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रपति राज्य विधानसभा को निलंबित या भंग कर सकते हैं, जिसके बाद संसद उसकी शक्तियों का प्रयोग करती है।
राष्ट्रपति शासन के अतीत में दुरुपयोग की कई críticas हुई हैं। 44वें संविधान संशोधन अधिनियम के अंतर्गत, यह प्रावधान है कि राष्ट्रपति शासन के दुरुपयोग को न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। एस. आर. बोम्मई मामले में, उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति की उद्घोषणा न्यायिक पुनरावलोकन के अधीन होती है।
परिचय
राष्ट्रपति शासन राज्य सरकार का निलंबन है और किसी राज्य पर सीधे केंद्र सरकार का शासन लागू करता है। अनुच्छेद 356 जो राष्ट्रपति शासन से संबंधित है, संविधान सभा द्वारा उस असामान्य स्थिति के साथ अपनाया गया था जिससे देश को सांप्रदायिक दंगों, शरणार्थियों की आमद और तेलंगाना सशस्त्र विद्रोह और बहुत कुछ का सामना करना पड़ रहा था।
राष्ट्रपति शासन: संविधान की शर्तें अनुच्छेद 355 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केंद्र सरकार को प्रत्येक राज्य को बाहरी आक्रमण और आंतरिक गड़बड़ी से बचाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक राज्य की सरकार संविधान का पालन करती है। यदि कुछ राज्य सरकार ऐसा करने में विफल रहती है, तो केंद्र सरकार अनुच्छेद 356 के तहत कार्यभार संभाल सकती है। यह राष्ट्रपति शासन बन जाता है।
अनुच्छेद 356: यदि राष्ट्रपति को लगता है कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य करने में असमर्थ है तो वह राष्ट्रपति शासन जारी कर सकते हैं। वह इसे राज्यपाल की रिपोर्ट के साथ या उसके बिना भी कर सकता है।
अनुच्छेद 365: यदि राज्य द्वारा केंद्र के निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है, तो राष्ट्रपति यह घोषणा कर सकता है कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य नहीं कर सकती है।
राष्ट्रपति शासन और संसदीय मंजूरी की अवधि
राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा को दो महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों की मंजूरी मिलनी चाहिए। यदि इस समय सीमा के भीतर लोकसभा भंग हो जाती है, तो उद्घोषणा नई लोकसभा की पहली बैठक से 30 दिनों तक प्रभावी रहती है, जो अंतरिम रूप से राज्य सभा द्वारा अनुमोदन के अधीन होती है।
यदि संसद के दोनों सदन सहमत हों तो छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लागू होता है। इसे हर छह महीने में संसद की मंजूरी के साथ तीन साल की अवधि तक बढ़ाया जा सकता है। यदि इस अवधि में लोकसभा किसी भी विस्तार पर सहमति के बिना भंग कर दी गई थी, तो नई लोकसभा के एकत्रित होने के बाद यह नियम 30 दिनों तक लागू रहता है, बशर्ते इसे राज्यसभा द्वारा अनुमोदित किया गया हो।
आशय