उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
इस प्रश्न “विश्लेषण करें कि भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के डिजिटल परिवर्तन ने इसके सामने उपस्थित चुनौतियों को हल करने में कैसे मदद की है” का उत्तर देने के लिए निम्नलिखित संरचित रोडमैप का पालन करें:
1. परिचय
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का संक्षिप्त परिचय दें।
- डिजिटल परिवर्तन के महत्व और इसकी भूमिका की अभिव्यक्ति करें।
2. PDS की चुनौतियाँ
- फर्जी कार्ड और अवांछित लाभार्थी: इस चुनौती को समझाएं और यह बताएं कि कैसे इससे अनाज का दुरुपयोग होता है।
- तथ्य: 2020 में छत्तीसगढ़ में 72 लाख PDS कार्डों में से 16 लाख, अर्थात् लगभग 22% फर्जी पाए गए। (स्रोत: सरकारी रिपोर्ट)
- पहचान में विफलता: बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण में समस्याएं और इसकी वजह से लाभ न मिलने की चर्चा करें।
- लीकेज: वितरण के दौरान खाद्यान्नों के लीकेज का मुद्दा।
- तथ्य: NSSO के अनुसार, PDS में लगभग 46.7% लीकेज होती है। (स्रोत: NSSO)
- विवाहित महिलाओं पर प्रभाव: विवाह के बाद राशन कार्ड में बदलाव की जटिलता पर चर्चा करें।
3. डिजिटल परिवर्तन की भूमिका
- आधार के साथ लिंकिंग: यह बताएं कि कैसे आधार कार्ड के साथ PDS का लिंक होना फर्जी कार्ड की समस्या को कम करता है।
- ePoS उपकरणों की स्थापना: उचित मूल्य की दुकानों पर ePoS उपकरणों के लाभ की चर्चा करें।
- तथ्य: 5.33 लाख FPS में से 5.07 लाख (95%) FPS पर ePoS उपकरण स्थापित किए गए हैं। (स्रोत: सरकारी आंकड़े)
- कम्प्यूटराइजेशन और पारदर्शिता: वितरण प्रक्रिया के एंड-टू-एंड कम्प्यूटरीकरण से पारदर्शिता में सुधार।
- तथ्य: छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, और दिल्ली में देखे गए सकारात्मक परिणाम। (स्रोत: सरकारी रिपोर्ट)
- डेटा प्रबंधन: IM-PDS और अनवितरण पोर्टल की भूमिका और “एक देश, एक राशन कार्ड” प्रणाली की चर्चा करें।
4. अन्य लाभ
- ट्रैकिंग और निगरानी: GPS टेक्नोलॉजी का प्रयोग खाद्यान्न की ट्रैकिंग के लिए।
- डिजिटल साक्षरता: इस पहल से लाभार्थियों की डिजिटल साक्षरता में सुधार।
5. निष्कर्ष
- संक्षेप में यह बताएं कि डिजिटल परिवर्तन ने PDS की चुनौतियों को किस तरह सुलझाने में मदद की है।
- आगे की चुनौतियों के समाधान के लिए तकनीकी निवेश और सुधारों की आवश्यकता पर बल दें।
प्रासंगिक तथ्य और स्रोत
- फर्जी कार्ड: 2020 में छत्तीसगढ़ में 72 लाख कार्डों में से 16 लाख फर्जी पाए गए। (स्रोत: सरकारी रिपोर्ट)
- लीकेज: NSSO द्वारा रिपोर्ट किया गया कि PDS में लगभग 46.7% खाद्यान्न का लीकेज होता है। (स्रोत: NSSO)
- ePoS उपकरण: 5.33 लाख FPS में से 5.07 लाख पर ePoS उपकरण स्थापित किए गए हैं। (स्रोत: सरकारी आंकड़े)
- पारदर्शिता: छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और दिल्ली में सिस्टम की प्रभावशीलता। (स्रोत: सरकारी रिपोर्ट)
इस रोडमैप के माध्यम से आप एक प्रभावी और विश्लेषणात्मक उत्तर तैयार कर सकते हैं, जिसमें सबसिडी और सूचनाओं का उचित उपयोग किया जाएगा।
परिचय
भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली
सार्वजनिक वितरण प्रणाली खाद्य सुरक्षा की दिशा में सरकार की पहलों में से एक है और यह पात्र परिवारों को बाजार मूल्य से कम कीमत पर मुख्य वस्तुएं उपलब्ध कराती है। आधुनिक शासन और डिजिटल परिवर्तन सार्वजनिक क्षेत्र के लिए पारदर्शिता, दक्षता और सेवा वितरण बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, साथ ही पीडीएस से जुड़ी धोखाधड़ी, रिसाव और बहिष्करण त्रुटियों पर काबू पाते हैं।
पीडीएस की वर्तमान समस्याएं
निम्नलिखित कारक हैं, जिनमें से एक पर ऊपर चर्चा की गई है: फर्जी कार्ड और भूत लाभार्थी फर्जी राशन कार्ड मुक्त बाजार में खाद्यान्न के अनधिकृत मोड़ की संभावना खोल सकते हैं। उदाहरण के लिए, छत्तीसगढ़ में वर्ष 2020 तक 22% फर्जी थे, जारी किए गए 72 लाख राशन कार्डों में से 16 लाख फर्जी बताए गए |
पहचान संबंधी विफलताएं बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण त्रुटि या आधार पहुंच में रुकावट जैसी विफलताएं पात्रता आपूर्ति को कम कर सकती हैं और कुछ प्राप्तकर्ताओं को अपना राशन प्राप्त करने से रोक सकती हैं।
– लीक: अनाज वितरण के दौरान सबसे बड़ी लीक है लीकेज; जैसा कि 2011-2012 की एनएसएसओ रिपोर्ट में बताया गया है, 46.7% मामलों में रिसाव होता है, और यह सिस्टम की कमजोरी है।
– विवाहित महिलाएं: घर में कोई बदलाव होने पर विवाहित महिलाओं को अपनी पात्रता स्थिति को अद्यतन करने में बहुत परेशानी होती है।
आधार लिंकेज: आधार के साथ राशन कार्डों को जोड़ने के माध्यम से, सिस्टम फर्जी कार्डों और फर्जी लाभार्थियों को खत्म करने में सक्षम था और वास्तविक लोगों की आसान पहुंच सुनिश्चित की।
– ईपीओएस उपकरण: एफपीएस में इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ईपीओएस) सिस्टम की स्थापना से लाभार्थियों की पहचान में काफी वृद्धि हुई है। आज, 95 प्रतिशत एफपीएस, लगभग 5.07 लाख, लेनदेन के प्रमाणीकरण के लिए ईपीओएस-सक्षम हैं।
एंड-टू-एंड कम्प्यूटरीकरण: पूर्ण डिजिटलीकरण से ट्रैकिंग और आवंटन में पारदर्शिता और दक्षता भी बढ़ी है। दोनों राज्यों, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ ने कहा है कि पूर्ण डिजिटलीकरण के बाद दक्षता में सुधार होता है।
डेटा संग्रह और पोर्टेबिलिटी: आईएम-पीडीएस और अन्नवितरण जैसे वेब पोर्टल लाभार्थियों को एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने के साथ-साथ प्रभावी डेटा प्रबंधन भी सक्षम करते हैं जिसके परिणामस्वरूप खाद्य पात्रता तक आसान पहुंच होती है।
डिजिटल परिवर्तन के अतिरिक्त लाभ
– न्यूनतम खाद्यान्न हानि: यह सुनिश्चित करता है कि खाद्यान्न कुशल रसद के माध्यम से परिवहन के दौरान कम नुकसान के साथ गंतव्य तक पहुंचे।
– तकनीकी सहायता केंद्र: एफपीएस बेहतर संचालन प्रदान करने के लिए ऑपरेटरों और लाभार्थियों के लिए तकनीकी सहायता केंद्र स्थापित करने में मदद करता है।
निष्कर्ष
डिजिटल परिवर्तन का उपयोग करके पीडीएस के मुद्दों से निपटने के लिए कई पहल की गई हैं। धोखाधड़ी और पारदर्शिता की कमी बढ़ गई है, और वितरण और लेनदेन के मामले में कई कार्यों को सुव्यवस्थित किया गया है। प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे में अधिक निवेश के साथ, पूरे भारत में लाखों लोगों तक सेवा वितरण और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पीडीएस को और विकसित किया जा सकता है।
आदर्श उत्तर
परिचय
भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। यह उचित मूल्यों पर खाद्यान्नों का वितरण सुनिश्चित करती है। लेकिन, इस प्रणाली को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जैसे फर्जी कार्ड, पहचान में विफलता, अनाज की लीकेज, और विवाहित महिलाओं को आ रहा कठिनाई। इन चुनौतियों से निपटने के लिए, PDS के डिजिटल परिवर्तन की पहल की गई है।
डिजिटल परिवर्तन का प्रभाव
1. पारदर्शिता में वृद्धि
PDS के अंतर्गत एंड-टू-एंड कंप्यूटराइजेशन ने वितरण में पारदर्शिता को बढ़ाया है। छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, दिल्ली और मध्य प्रदेश में इस प्रक्रिया से धन और अनाज के आवंटन में सुधार हुआ है। स्मार्ट राशन कार्ड में डेटा स्टोरेज की विशेषताएं हैं, जो जालसाजी को रोकने में मदद करती हैं (स्रोत: सरकारी रिपोर्ट)।
2. वैध लाभार्थियों की पहचान
इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ePoS) उपकरणों की स्थापना ने राशन के वितरण में प्रभावी प्रमाणन सुनिश्चित किया है। वर्तमान में, 5.33 लाख में से 5.07 लाख FPS में ePoS उपकरण स्थापित किए गए हैं, जो बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण द्वारा पहचान की पुष्टि करते हैं (स्रोत: सरकारी आंकड़े)।
3. ट्रैकिंग और निगरानी
GSP का उपयोग ट्रकों की आवाजाही की ट्रैकिंग के लिए किया जा रहा है, जिससे खाद्यान्न के वितरण में किसी भी तरह की कमी और लीकेज पर सख्त निगरानी रखी जा रही है (स्रोत: सरकारी रिपोर्ट)।
4. डेटा संग्रहण और प्रबंधन
IM-PDS और अनवितरण पोर्टल ने राशन कार्डों और लाभार्थियों की केंद्रीय डेटा संग्रहण को संभव बना दिया है। इसके जरिए “एक देश, एक राशन कार्ड” योजना को लागू किया जा रहा है, जिससे लाभार्थियों के लिए खाद्यान्न प्राप्त करना और भी आसान हो गया है (स्रोत: सरकारी रिपोर्ट)।
निष्कर्ष
भारत में PDS का डिजिटल परिवर्तन विभिन्न चुनौतियों का सफलतापूर्वक समाधान करने में सहायक रहा है, जैसे कि पारदर्शिता में वृद्धि, वैध लाभार्थियों की बेहतर पहचान, और खाद्यान्न की ट्रैकिंग। इन पहलुओं से एक मजबूत और प्रभावी सार्वजनिक वितरण प्रणाली का निर्माण हो रहा है। आगे की चुनौतियों का समाधान करने के लिए तकनीकी अवसंरचना में सुधार की आवश्यकता है।