उत्तर लेखन के लिए रोडमैप
इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए एक सुव्यवस्थित विधि अपनाएँ जिसमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व और भारत द्वारा उठाए गए कदमों को स्पष्ट रूप से बताया जाए। यहाँ एक रोडमैप प्रस्तुत है:
1. परिचय
- आपदा जोखिम न्यूनीकरण का संक्षिप्त परिचय दें।
- वर्तमान में प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का उल्लेख करें।
2. आपदा जोखिम में कमी के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग का महत्व
- जोखिम न्यूनीकरण में भूमिका:
- उल्लेख करें कि केवल 50% देशों के पास आपदा चेतावनी प्रणाली है, जिससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता बढ़ जाती है (स्रोत: UNISDR)।
- आपदा पश्चात प्रतिक्रिया:
- पहले 48 घंटों में देशों के बीच सहयोग का महत्व (स्रोत: UNISDR)।
- रिकवरी चरण में सहयोग:
- डेटा, उपकरण, और श्रेष्ठ प्रथाओं का आदान-प्रदान कैसे फायदेमंद हो सकता है (स्रोत: UNDRR)।
- राजनयिक संबंधों का सुधार:
- मानवता और आपदा राहत में सहयोग से क्षेत्रों के बीच विश्वास का निर्माण (स्रोत: UNISDR)।
- जलवायु परिवर्तन की चुनौतियाँ:
- जलवायु परिवर्तन के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग का महत्व बढ़ता जा रहा है (स्रोत: UNDRR)।
3. भारत द्वारा उठाए गए कदम
- सेंडाई फ्रेमवर्क:
- भारत ने सेंडाई फ्रेमवर्क के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है (स्रोत: UNDRR)।
- द्विपक्षीय/बहुपक्षीय समझौते:
- भारत द्वारा सार्क समझौता जैसे समझौतों का उल्लेख करें। भारत ने अन्य देशों (इंडोनेशिया, जापान, स्विट्जरलैंड, रूस) के साथ आपदा प्रबंधन के लिए समझौते किए हैं (स्रोत: गृह मंत्रालय, भारत)।
- क्षेत्रीय भागीदारी:
- सार्क आपदा प्रबंधन केंद्र और एशियाई आपदा तैयारी केंद्र के साथ साझेदारी (स्रोत: SAARC)।
- आपदा रोधी अवसंरचना पर गठबंधन (CDRI):
- CDRI की भूमिका और इसका उद्देश्य बताएं (स्रोत: CDRI)।
- हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA):
- उसके उद्देश्यों का उल्लेख करें (स्रोत: IORA)।
4. निष्कर्ष
- आपदा जोखिम में कमी के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और भारत के प्रयासों की महत्ता को संक्षेप में पुनः बताएं।
- यह भी बताएं कि कैसे इन प्रयासों से न केवल आपदा प्रबंधन में सुधार होगा बल्कि क्षेत्रीय सहयोग भी होगा।
प्रासंगिक तथ्य और स्रोत
- आपदा चेतावनी प्रणाली:
- तथ्य: विश्व मौसम विज्ञान संगठन के 193 सदस्यों में से केवल 50% देशों के पास विविध आपदाओं के लिए समय पूर्व चेतावनी प्रणाली है।
- स्रोत: UNISDR।
- आपदा पश्चात प्रतिक्रिया का महत्व:
- तथ्य: आपदा के बाद के 48 घंटे सबसे महत्वपूर्ण होते हैं, इसलिए विभिन्न देशों द्वारा समन्वय बनाना जरूरी है।
- स्रोत: UNISDR।
- सेंडाई फ्रेमवर्क में भारत की प्रतिबद्धता:
- तथ्य: भारत सेंडाई फ्रेमवर्क के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करता है, जिससे आपदा जोखिम और क्षति में कमी लाने की कोशिश होती है।
- स्रोत: UNDRR।
- द्विपक्षीय समझौते:
- तथ्य: भारत ने प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ आपात प्रतिक्रिया हेतु सार्क समझौता किया है।
- स्रोत: गृह मंत्रालय, भारत।
- आपदा रोधी अवसंरचना पर गठबंधन (CDRI):
- तथ्य: CDRI का उद्देश्य आपदा-संवेदनशील अवसंरचना में निवेश को बढ़ावा देना है।
- स्रोत: CDRI।
इस रोडमैप का अनुसरण करके, आप एक संपूर्ण उत्तर तैयार कर सकते हैं जो दोनों पहलुओं को कवर करता है और प्रामाणिक तथ्यों के माध्यम से समर्थन प्राप्त करता है।
आपदा जोखिम में कमी के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्राकृतिक आपदाएँ अक्सर सीमाओं को नहीं मानतीं। विभिन्न देशों के बीच ज्ञान, तकनीकी संसाधनों और वित्तीय सहायता का आदान-प्रदान, आपदा प्रबंधन को प्रभावी बनाने में सहायक होता है। वैश्विक स्तर पर संगठनों जैसे कि संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन, आपदा प्रतिक्रिया में समन्वय स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भारत ने आपदा घटाने के लिए कई कदम उठाए हैं। “आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005” के अंतर्गत, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की स्थापना की गई है, जो आपदा प्रबंधन की नीति और रणनीतियों को विकसित करता है। इसके अलावा, भारत ने SAARC और BIMSTEC जैसे क्षेत्रीय मंचों पर सहयोग को बढ़ावा दिया है।
भारत ने आपदा प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों और कार्यशालाओं का आयोजन किया है, जिससे क्षेत्रीय देशों को आपदा प्रतिक्रिया की क्षमता विकसित करने में मदद मिली है। इसके साथ ही, भारत ने प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए उपग्रह आधारित निगरानी प्रणाली और पूर्वानुमान तकनीकों में निवेश किया है, जिससे क्षेत्रीय सहयोग को और मजबूती मिली है।
परिचय:
जलवायु परिवर्तन के कारण आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता, आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता को उजागर करती है। जैसे-जैसे आपदाएँ लगातार और अप्रत्याशित होती जा रही हैं, देशों को प्रभावी आपदा प्रतिक्रिया के लिए संसाधनों, ज्ञान और रणनीतियों को साझा करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
आपदा जोखिम न्यूनीकरण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का महत्व:
आपदा जोखिमों को कम करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के वैश्विक कवरेज के संदर्भ में। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, इसके 193 सदस्यों में से केवल आधे के पास बहु-खतरा प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ हैं, जो तैयारियों में सुधार के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं। आपदाओं के तत्काल बाद, विशेष रूप से महत्वपूर्ण पहले 48 घंटों के भीतर, समन्वित अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ जीवन बचा सकती हैं और क्षति को कम कर सकती हैं।
आपदा जोखिम न्यूनीकरण में वैश्विक पहल:
कई अंतर्राष्ट्रीय ढाँचे और संगठन DRR प्रयासों को संचालित करते हैं, जिनमें आपदा न्यूनीकरण के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय रणनीति (UNISDR), आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए वैश्विक मंच और आपदा न्यूनीकरण और पुनर्प्राप्ति के लिए वैश्विक सुविधा शामिल हैं। ये पहल विश्व स्तर पर ज्ञान के आदान-प्रदान, नीति निर्माण और आपदा तैयारियों को बढ़ावा देती हैं।
क्षेत्रीय सहयोग के लिए भारत की पहल:
भारत ने प्राकृतिक आपदाओं पर तीव्र प्रतिक्रिया पर सार्क समझौते और इंडोनेशिया, जापान और रूस जैसे देशों के साथ समझौता ज्ञापन जैसे विभिन्न द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों में शामिल होकर, आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेंडाई फ्रेमवर्क के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है। भारत क्षेत्रीय (DRR) क्षमताओं को मजबूत करने के लिए सार्क आपदा प्रबंधन केंद्र और एशियाई आपदा तैयारी केंद्र जैसे क्षेत्रीय निकायों के साथ भी सक्रिय रूप से सहयोग करता है। भारत के नेतृत्व में आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे पर गठबंधन (CDRI)) का लक्ष्य लचीले बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा देना है, जबकि हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) तटीय क्षेत्रों में तैयारियों और प्रतिक्रिया रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करता है।
निष्कर्ष:
आपदा जोखिमों को कम करने, लचीलेपन को बढ़ावा देने और आपदाओं के मद्दे नजर प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण है। रूपरेखाओं और साझेदारियों के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में भारत की सक्रिय भूमिका, अधिक लचीले और आपदा-तैयार भविष्य के निर्माण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
मॉडल उत्तर
आपदा जोखिम में कमी के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग का महत्व
पिछले 20 वर्षों में बड़ी आपदाओं की घटनाओं में लगभग दोगुनी वृद्धि हुई है और जलवायु परिवर्तन के कारण आपदाओं की बारंबारता भी बढ़ी है। इस संदर्भ में, आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग खासतौर पर महत्वपूर्ण हो गया है।
आपदा जोखिम न्यूनीकरण में अंतरराष्ट्रीय सहयोग का महत्व
1. जोखिम न्यूनीकरण के लिए महत्वपूर्ण
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के 193 सदस्यों में से केवल 50% देशों के पास विभिन्न आपदाओं के लिए समय पूर्व चेतावनी प्रणाली है (स्रोत: UNISDR)। इसके चलते, विभिन्न देशों के बीच डेटा और पूर्वानुमान साझा करने से आपदा जोखिम को कम किया जा सकता है।
2. आपदा पश्चात प्रतिक्रिया
आपदा के बाद के 48 घंटे महत्वपूर्ण होते हैं। इस समय, देशों के बीच विशेषज्ञता और संसाधनों के समन्वय से सहायता मिल सकती है (स्रोत: UNISDR)।
3. रिकवरी के दौरान सहयोग
प्रतिभागी नेटवर्क के माध्यम से समन्वय और संसाधनों का साझा करना, रिकवरी चरण के दौरान बेहतर विकास परिणाम प्राप्त करने में मदद कर सकता है (स्रोत: UNISDR)।
4. राजनयिक संबंधों में सुधार
मानवीय सहायता और आपदा राहत में सहयोग से क्षेत्रीय विश्वास और राजनयिक संबंध मजबूत होते हैं (स्रोत: UNISDR)।
भारत के क्षेत्रीय सहयोग के कदम
1. सेंडाई फ्रेमवर्क का पालन
भारत ने सेंडाई फ्रेमवर्क को स्वीकार किया है, जिससे आपदा जोखिम और नुकसान को कम करने की जिम्मेदारी ली गई है (स्रोत: UNDRR)।
2. द्विपक्षीय/बहुपक्षीय समझौते
भारत ने सार्क समझौता जैसे कई ठोस समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें इंडोनेशिया, जापान और स्विट्जरलैंड समेत कई देशों के साथ सहयोग शामिल है (स्रोत: गृह मंत्रालय, भारत)।
3. क्षेत्रीय साझेदारियाँ
भारत ने सार्क आपदा प्रबंधन केंद्र तथा एशियाई आपदा तैयारी केंद्र के साथ सहयोग किया है (स्रोत: SAARC)।
4. आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI)
भारत ने CDRI की स्थापना की है, जो आपदा-संवेदनशील अवसंरचना में निवेश को बढ़ावा देता है (स्रोत: CDRI)।
5. हिंद महासागर रिम एसोसिएशन
इसका उद्देश्य आपदा प्रबंधन में क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाना है (स्रोत: IORA)।
इन पहलों के माध्यम से, भारत आपदा जोखिम कम करने और क्षेत्रीय स्तर पर सहयोग को मजबूत करने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।