प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2020]
पुरुषार्थ का अर्थ और समाजशास्त्रीय महत्त्व की व्याख्या कीजिए।
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पुरुषार्थ का अर्थ
पुरुषार्थ शब्द का अर्थ है “मनुष्य द्वारा किए गए प्रयास” या “साधनों के उपयोग से प्राप्त किए गए उद्देश्य।” यह चार प्रमुख तत्वों में बाँटा जाता है: धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष। प्रत्येक तत्व का समाज और व्यक्तिगत जीवन में विशेष स्थान होता है।
समाजशास्त्रीय महत्त्व
पुरुषार्थ समाजशास्त्र में विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को संतुलित और व्यवस्थित करने का मार्गदर्शन करता है। समाज में हर व्यक्ति का धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष की दिशा में योगदान होता है, जो समाज के समग्र विकास में सहायक होता है।
उदाहरण:
पुरुषार्थ से समाज का समग्र विकास संभव होता है, जहां प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को समझकर सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन को बेहतर बना सकता है।