(अ) साबुन द्वारा तैलीय मैल को हटाने का वर्णन करें।
(ब) ‘परिशुद्ध ऐल्कोहल’ क्या है? इसे रेक्टिफाइड स्पिरिट में “प्रभाजी आसवन” विधि द्वारा कैसे प्राप्त किया जा सकता है? [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2016]
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(अ) साबुन द्वारा तैलीय मैल को हटाने का वर्णन
साबुन एक ऐम्फीफिलिक यौगिक है, जिसमें एक हाइड्रोफिलिक (पानी में घुलने वाला) हिस्सा और एक हाइड्रोफोबिक (तैलीय) हिस्सा होता है। जब साबुन को पानी में मिलाया जाता है, तो इसके हाइड्रोफोबिक भाग तैलीय मैल या गंदगी के अणुओं से संलग्न हो जाते हैं, जबकि हाइड्रोफिलिक भाग पानी में घुल जाता है। इससे साबुन के अणु एक “माइसेल” बनाते हैं, जिसमें तैलीय मैल का केंद्र और पानी का बाहरी भाग होता है। जब हम इस मिश्रण को रगड़ते हैं, तो साबुन के अणु मैल को लपेट लेते हैं और उसे पानी में घोलकर धो देते हैं। इस प्रक्रिया से तैलीय मैल और गंदगी को आसानी से हटाया जा सकता है, जिससे सतह साफ हो जाती है।
(ब) ‘परिशुद्ध ऐल्कोहल’ और रेक्टिफाइड स्पिरिट में “प्रभाजी आसवन”
परिशुद्ध ऐल्कोहल, जिसे एथिल ऐल्कोहल या इथेनॉल भी कहते हैं, एक रंगहीन, ज्वलनशील तरल है जिसका उपयोग औषधि, रसायन, और पेय पदार्थों में होता है। रेक्टिफाइड स्पिरिट वह मिश्रण है जिसमें 95% एथिल ऐल्कोहल और 5% पानी होता है।
“प्रभाजी आसवन” विधि द्वारा परिशुद्ध ऐल्कोहल प्राप्त करने के लिए, पहले रेक्टिफाइड स्पिरिट को गर्म किया जाता है। जब यह मिश्रण उबलता है, तो एथिल ऐल्कोहल का वाष्प निकाला जाता है, क्योंकि इसका उबलने का तापमान पानी से कम होता है। फिर इस वाष्प को ठंडा करके संक्षिप्त किया जाता है, जिससे शुद्ध एथिल ऐल्कोहल प्राप्त होता है। इस प्रक्रिया में विभिन्न तापमानों पर भिन्न यौगिकों का वाष्पीकरण और संकुचन होता है, जो कि उच्च शुद्धता प्राप्त करने में मदद करता है।