(i) जोशीमठ भूस्खलन एक मानवजन्य त्रासदी है न कि प्राकृतिक आपदा
Joshimath landslide is more of a man-made tragedy and less of a natural calamity
(ii) उत्तराखण्ड की जैव-विविधता
Biodiversity of Uttarakhand
(iii) उत्तराखण्ड की संस्कृति एवं कला को दशनि वाले स्थल
The sites that exhibit the art and culture of Uttarakhand
(iv) महिला सशक्तिकरण उत्तराखण्ड को राष्ट्र का एक सशक्त प्रदेश बनाने के लिए एक आवश्यक कदम है।
Empowering women is essential step to make Uttarakhand a developed state of the nation.
[उत्तर सीमा: 500 शब्द] [UKPSC 2023]
जोशीमठ भूस्खलन: एक मानवजन्य त्रासदी
जोशीमठ, उत्तराखंड का एक प्रसिद्ध शहर, हाल के वर्षों में भूस्खलन की घटनाओं के लिए चर्चित रहा है। यह स्थिति केवल प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि यह एक मानवजन्य त्रासदी का परिणाम है। इस निबंध में, हम इस त्रासदी के पीछे के कारणों और इसके प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।
जोशीमठ की भौगोलिक स्थिति, जो कि पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित है, उसे भूस्खलन के लिए संवेदनशील बनाती है। हालाँकि, यह स्पष्ट है कि स्थानीय विकास की अनियोजित गतिविधियाँ इस समस्या को और बढ़ा रही हैं। यहाँ पर अति निर्माण, अनियोजित शहरीकरण, और अवैध खनन जैसी गतिविधियाँ प्रमुख कारक हैं। जब प्राकृतिक आपदाएँ, जैसे बारिश और भूकंप, आती हैं, तो ये मानवीय क्रियाकलाप भूस्खलन को और अधिक गंभीर बना देते हैं।
जोशीमठ में बड़ी मात्रा में होटल, रिसॉर्ट, और अन्य निर्माण परियोजनाएँ चल रही हैं। इन परियोजनाओं के लिए बड़ी मात्रा में वनों की कटाई की जा रही है, जिससे भूमि की स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जब मिट्टी की जड़ों को नुकसान पहुँचता है, तो यह भूस्खलन का एक प्रमुख कारण बनता है। इसके अलावा, जल निकासी प्रणाली की कमी भी समस्या को बढ़ा रही है, जिससे बारिश के पानी का संचय होता है और भूमि का कटाव होता है।
इसके परिणामस्वरूप, स्थानीय निवासियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। उनके घरों और संपत्तियों को खतरा है, और कई लोगों को स्थानांतरित होना पड़ा है। सरकार ने आपातकालीन सेवाएँ शुरू की हैं, लेकिन यह समस्या केवल तात्कालिक उपायों से हल नहीं हो सकती। एक दीर्घकालिक योजना और स्थायी विकास की आवश्यकता है।
इसके अलावा, जोशीमठ की आर्थिक स्थिति भी प्रभावित हुई है। पर्यटन इस क्षेत्र की मुख्य आय का स्रोत है, लेकिन भूस्खलन के कारण पर्यटन में कमी आई है। इससे स्थानीय व्यवसाय और रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यह एक चक्रवात की तरह है; जब एक क्षेत्र आर्थिक रूप से कमजोर होता है, तो यह विकास के अन्य पहलुओं को भी प्रभावित करता है।
अंत में, जोशीमठ भूस्खलन केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं है; यह एक मानवजन्य त्रासदी है। इसके कारणों की पहचान और समाधान के लिए समुचित योजनाओं की आवश्यकता है। हमें यह समझना होगा कि विकास और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए, हमें एक सतत और जिम्मेदार विकास मॉडल की ओर अग्रसर होना होगा, ताकि जोशीमठ और इसके निवासियों को सुरक्षित और समृद्ध जीवन जीने का अवसर मिल सके।