वर्तनी के मानकीकरण के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए ।
अथवा
हिन्दी व्याकरण के मानकीकरण पर प्रकाश डालिए । अथवा देवनागरी लिपि की विशेषताओं को समझाइये ।
अथवा
हिन्दी की उन ध्वनियों पर प्रकाश डालिए जिनके उच्चारण और लिप्यान्तरण में प्रथम दृष्टया असंगति दिखाई देती है।
[उत्तर सीमा: 125 शब्द] [UKPSC 2023]
वर्तनी के मानकीकरण के महत्त्व
वर्तनी के मानकीकरण का प्रमुख उद्देश्य भाषा में एकरूपता और स्पष्टता सुनिश्चित करना है। जब वर्तनी मानकीकृत होती है, तो यह पाठकों और लेखकों के लिए भाषा को समझना और उपयोग करना सरल बनाती है। यह विभिन्न क्षेत्रों में संवाद को सुगम बनाता है, जैसे शिक्षा, प्रशासन, और मीडिया।
मानकीकरण से एक भाषा की प्रतिष्ठा और पहचान भी बढ़ती है, जिससे भाषा का प्रभावी उपयोग हो पाता है। विशेषकर हिंदी में, मानकीकरण से लेखन में संपूर्णता आती है और शैक्षणिक तथा साहित्यिक कार्यों की गुणवत्ता में सुधार होता है। इससे भाषाई संसाधनों की उपलब्धता भी बढ़ती है, जिससे भाषा का विकास संभव होता है।
इस प्रकार, वर्तनी का मानकीकरण हिंदी भाषा के समुचित विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।