कोप-27 के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए। हाल ही में मिस्र में आयोजित कोप-27 बैठक में भारत की भूमिका तथा योगदान का विवरण प्रस्तुत कीजिए । [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2023]
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
कोप-27 (संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन) के मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को नियंत्रित करना, वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस के भीतर बनाए रखना, और जलवायु वित्त तथा तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना हैं। यह सम्मेलन देशों के बीच सहयोग और सामूहिक कार्रवाई को सुदृढ़ करने का एक मंच है, जिससे विभिन्न देशों के प्रयासों का समन्वय किया जा सके।
हाल ही में मिस्र में आयोजित कोप-27 में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण रही। भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अपने विचारों और पहलों को साझा किया, जिसमें “पंचामृत” की रूपरेखा शामिल थी। पंचामृत में भारत ने 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा क्षमता का 50% गैर-जीवाश्म ईंधनों से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा। इसके अलावा, भारत ने 2070 तक नेट ज़ीरो उत्सर्जन का लक्ष्य भी निर्धारित किया, जिससे उसकी जलवायु कार्रवाई की गंभीरता का संकेत मिलता है।
भारत ने विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्त की आवश्यकता पर भी जोर दिया, यह मांग करते हुए कि विकसित देश अपनी वित्तीय और तकनीकी सहायता बढ़ाएँ। भारत ने वैश्विक स्तर पर जलवायु न्याय के लिए आवाज उठाई, यह बताते हुए कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिए विकासशील देशों को समर्थन देने की आवश्यकता है। इस प्रकार, कोप-27 में भारत ने न केवल अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं को प्रदर्शित किया, बल्कि वैश्विक सहयोग और सशक्तीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान भी दिया।