रखड के बाग दक्षिण भारत मुख्यत: केरल एवं तमिलनाड तक ही क्यों सीमित हैं? [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2016]
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
रखड के बाग, जिन्हें “रबड़ बाग” भी कहा जाता है, दक्षिण भारत, विशेषकर केरल और तमिलनाडु तक ही सीमित हैं, इसके पीछे कई कारण हैं:
1. **जलवायु**: रखड के बागों के लिए आदर्श जलवायु उष्णकटिबंधीय होती है, जिसमें उच्च तापमान और पर्याप्त वर्षा होती है। केरल और तमिलनाडु की जलवायु इस प्रकार की है, जो रबड़ के पौधों के विकास के लिए अनुकूल है।
2. **मिट्टी की गुणवत्ता**: रबड़ के पेड़ को अच्छी जल निकासी वाली, उपजाऊ और काली मिट्टी की आवश्यकता होती है। ये क्षेत्र इस प्रकार की मिट्टी के लिए प्रसिद्ध हैं, जो रबड़ की खेती के लिए उपयुक्त है।
3. **सांस्कृतिक और आर्थिक कारक**: केरल में रबड़ की खेती का एक लंबा इतिहास है, और यह राज्य की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। स्थानीय किसानों ने इस फसल को अपनाया और इसके लिए आवश्यक तकनीकी ज्ञान विकसित किया।
4. **अवसर और समर्थन**: केरल सरकार ने रबड़ उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ और समर्थन कार्यक्रम लागू किए हैं, जिससे यह फसल तेजी से लोकप्रिय हुई है।
5. **भौगोलिक स्थिति**: दक्षिण भारत का यह क्षेत्र रबड़ के प्राकृतिक निवास स्थानों के निकट है, जिससे इसे यहाँ उगाने में मदद मिलती है।
इन सभी कारणों के चलते रखड के बाग मुख्यतः केरल और तमिलनाडु तक सीमित हैं।