शक्ति संसाधन के रूप में कोयला, जल विद्युत एवं पेट्रोलियम (खनिज तेल) का तुलनात्मक महत्त्व समझाइए और जल विद्युत शक्ति के बढ़ते महत्त्व की विवेचना कीजिये | [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2016]
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शक्ति संसाधनों के रूप में कोयला, जल विद्युत और पेट्रोलियम (खनिज तेल) का महत्त्व अलग-अलग है, और प्रत्येक का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है।
### कोयला:
कोयला एक महत्वपूर्ण पारंपरिक ऊर्जा स्रोत है, जिसका उपयोग मुख्यतः बिजली उत्पादन और औद्योगिक प्रक्रिया में किया जाता है। यह किफायती है और बड़े पैमाने पर उपलब्ध है, लेकिन इसके दहन से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य प्रदूषक वायु गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
### जल विद्युत:
जल विद्युत एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है, जो जल के प्रवाह से विद्युत उत्पादन करता है। यह पर्यावरण के लिए कम हानिकारक है और उच्च क्षमता से ऊर्जा उत्पन्न करता है। जल विद्युत स्थायी विकास के लिए आवश्यक है और इसे बाढ़ प्रबंधन, सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के लिए भी उपयोग किया जाता है।
### पेट्रोलियम:
पेट्रोलियम, एक तरल ऊर्जा स्रोत है, जिसका मुख्य उपयोग परिवहन क्षेत्र में होता है। यह उच्च ऊर्जा घनत्व प्रदान करता है, लेकिन इसके जलने से ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित होती हैं, जो जलवायु परिवर्तन में योगदान करती हैं।
### जल विद्युत के बढ़ते महत्त्व:
जल विद्युत शक्ति का महत्त्व बढ़ रहा है क्योंकि वैश्विक तापमान में वृद्धि और ऊर्जा संकट को देखते हुए नवीकरणीय ऊर्जा के विकल्पों की आवश्यकता है। जल विद्युत परियोजनाएँ न केवल स्थायी ऊर्जा प्रदान करती हैं, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा को भी सुनिश्चित करती हैं। इसके अलावा, जल विद्युत परियोजनाओं की क्षमता में वृद्धि और तकनीकी नवाचार, जैसे कि छोटे हाइड्रो पावर स्टेशनों का विकास, इसे और अधिक आकर्षक बनाते हैं।
इस प्रकार, जल विद्युत शक्ति एक स्थायी और स्वच्छ ऊर्जा विकल्प के रूप में उभर रही है, जो वैश्विक ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।