भारत में वैश्वीकरण के प्रभाव का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये। [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2016]
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भारत में वैश्वीकरण के प्रभाव का आलोचनात्मक परीक्षण
परिचय
वैश्वीकरण ने भारत की अर्थव्यवस्था, समाज और संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला है। इसके परिणाम सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही हैं।
1. आर्थिक प्रभाव
वैश्वीकरण के चलते भारत में आर्थिक वृद्धि और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि हुई है। सेवाएँ और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत ने वैश्विक स्तर पर पहचान बनाई है। बंगलोर और हैदराबाद जैसे शहरों ने वैश्विक टेक्नोलॉजी हब के रूप में उभरने में सफलता प्राप्त की है।
2. सामाजिक प्रभाव
हालांकि, वैश्वीकरण ने सामाजिक विषमताओं को भी बढ़ाया है। असमानता के चलते अमीर और गरीब के बीच की खाई बढ़ गई है। शहरीकरण के कारण गाँवों से शहरों की ओर बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है, जिससे ग्रामीण जीवन की संरचना प्रभावित हो रही है।
3. सांस्कृतिक प्रभाव
वैश्वीकरण ने भारतीय संस्कृति पर भी प्रभाव डाला है। पश्चिमी संस्कृति का फैलाव हुआ है, जिससे पारंपरिक मूल्य और रीति-रिवाजों में बदलाव आया है। यह एक तरफ समृद्धि ला रहा है, लेकिन दूसरी ओर संस्कृति के विघटन का भी कारण बन रहा है।
4. राजनीतिक प्रभाव
राजनीतिक दृष्टिकोण से, वैश्वीकरण ने नीति निर्माण में बाहरी दबाव बढ़ाया है। विदेशी निवेश और वैश्विक बाजारों की मांग के चलते कई बार राष्ट्रीय हितों को नजरअंदाज किया गया है।
निष्कर्ष
अतः, भारत में वैश्वीकरण के प्रभाव जटिल हैं। यह न केवल आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक चुनौतियाँ भी उत्पन्न करता है। इसलिए, संतुलित और सतत नीति बनाने की आवश्यकता है।