उत्तराखंड में ‘गोरखा शासन’ के दौरान राजनीतिक स्थिति का वर्णन कीजिये। [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2016]
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उत्तराखंड में गोरखा शासन (1770-1815) एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अवधि थी, जिसमें राजनीतिक स्थिति में कई बदलाव आए। गोरखा सेना ने नेपाल के राजा पृथ्वी नारायण शाह के अधीन आक्रमण किया और उत्तराखंड के कई हिस्सों पर अधिकार किया।
गोरखाओं ने यहाँ अपने प्रशासनिक और सैन्य ढांचे को स्थापित किया। उन्होंने स्थानीय रजवाड़ों को अपने अधीन कर लिया और राजस्व प्रणाली को मजबूत किया। गोरखा शासन के दौरान, कुमाऊं और गढ़वाल में सशस्त्र संघर्ष हुए, जिससे स्थानीय जनता में असंतोष बढ़ा। गोरखाओं ने कठोर कर नीति लागू की, जिससे किसान और व्यापारी दोनों प्रभावित हुए।
हालांकि, गोरखा शासन ने कुछ बुनियादी ढाँचे जैसे सड़कों और किलों का विकास किया, लेकिन स्थानीय संस्कृति और परंपराओं पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा। गोरखा शासन के दौरान नेपाली संस्कृति का प्रभाव बढ़ा, जिससे स्थानीय भाषा और परंपराएँ प्रभावित हुईं।
1814 में, अंग्रेज़ों ने गोरखाओं के खिलाफ युद्ध छेड़ा, जिसे “गोरखा युद्ध” के नाम से जाना जाता है। 1815 में, गोरखा सेना ने अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण किया और इसके परिणामस्वरूप, उत्तराखंड का अधिकांश हिस्सा ब्रिटिश राज में शामिल हो गया। इस प्रकार, गोरखा शासन ने उत्तराखंड की राजनीतिक स्थिति को गहराई से प्रभावित किया, जिसके दूरगामी परिणाम रहे।