बुद्ध की मौलिक शिक्षाओं का वर्णन कीजिये। [उत्तर सीमा: 250 शब्द] [UKPSC 2016]
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बुद्ध की मौलिक शिक्षाएँ मानव जीवन के दुःख और उसके समाधान पर केंद्रित थीं। उनकी शिक्षाओं का मुख्य आधार ‘चार आर्य सत्य’ हैं। पहले सत्य के अनुसार, जीवन में दुःख अनिवार्य है। दूसरा सत्य बताता है कि दुःख का कारण तृष्णा (इच्छा) है। तीसरा सत्य इस बात की पुष्टि करता है कि दुःख का अंत संभव है। चौथा सत्य ‘आष्टांगिक मार्ग’ का पालन करने की सलाह देता है, जिसमें सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वचन, सम्यक क्रिया, सम्यक आजीविका, सम्यक प्रयास, सम्यक स्मृति और सम्यक समाधि शामिल हैं।
बुद्ध ने ‘अनित्ता’ (अस्थिरता) और ‘अनात्मा’ (निःस्वार्थता) के सिद्धांतों को भी महत्वपूर्ण माना। उन्होंने सिखाया कि सभी चीजें परिवर्तनशील हैं और व्यक्ति को आत्मा के स्थायित्व की भ्रांति से मुक्त होना चाहिए। इसके अलावा, बुद्ध ने करुणा, प्रेम और अहिंसा का संदेश दिया, जो सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है।
बुद्ध की शिक्षाएँ न केवल व्यक्तिगत उत्थान के लिए हैं, बल्कि समाज में शांति और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने ध्यान और साधना के माध्यम से आत्मज्ञान की ओर बढ़ने का मार्ग दिखाया। उनके सिद्धांतों ने मानवता को एक नई दिशा दी और आज भी लाखों लोगों के जीवन में प्रासंगिक हैं। उनके उपदेशों ने धर्म, दर्शन और नैतिकता के क्षेत्रों में गहन प्रभाव डाला है।