प्रत्येक राष्ट्र की एक सांस्कृतिक धरोहर होती है, जिसके बल पर वह प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है, मानव युग-युग से अपने जीवन को अधिक सुखमय, उपयोगी, शांतिपूर्ण, आनंदमय बनाने का प्रयास करता रहा है, इस प्रयास का आधार उसकी सांस्कृतिक धरोहर होती है। कुछ लोग संस्कृति और सभ्यता को एक ही मानते हैं, किंतु दोनों में सूक्ष्म भेद है। संस्कृति मानव जीवन को श्रेष्ठ एवं उन्नत बनाने की साधनाओं का नाम है और सभ्यता उन साधनाओं के फलस्वरूप उपलब्ध हुई जीवन प्रणाली का नाम है। किसी राष्ट्र की सभ्यता का मूल्यांकन हम उसकी संस्कृति के आधार पर कर सकते हैं। प्रत्येक राष्ट्र की संस्कृति वहाँ की भौगोलिक परिस्थितियों पर निर्भर है। प्रकृति का मानव जीवन को प्रभावित करने में महत्त्वपूर्ण हाथ रहता है।
(i) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिये।
(ii) गद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिये।
(iii) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिये। [उत्तर सीमा: 125 शब्द, अंक: 15] [UKPSC 2016]
(i) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक
“संस्कृति और सभ्यता: राष्ट्र की पहचान और प्रगति”
(ii) गद्यांश का भावार्थ
गद्यांश में यह कहा गया है कि प्रत्येक राष्ट्र की एक सांस्कृतिक धरोहर होती है, जो उसकी प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मानवता सदियों से अपने जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास करती आ रही है, और यह प्रयास उसकी सांस्कृतिक धरोहर पर आधारित है। जबकि संस्कृति और सभ्यता को एक ही समझा जाता है, दोनों में महत्वपूर्ण अंतर है। संस्कृति जीवन को उन्नत बनाने के साधनों का नाम है, जबकि सभ्यता उन साधनों से विकसित जीवन प्रणाली है। किसी राष्ट्र की सभ्यता की मूल्यांकन उसके सांस्कृतिक आधार पर किया जा सकता है। अंत में, यह भी बताया गया है कि संस्कृति भौगोलिक परिस्थितियों से प्रभावित होती है।
(iii) रेखांकित अंशों की व्याख्या
गद्यांश में कहा गया है कि “संस्कृति मानव जीवन को श्रेष्ठ एवं उन्नत बनाने की साधनाओं का नाम है”, जिसका अर्थ है कि संस्कृति वे मूल्य और प्रथाएँ हैं जो मानव जीवन को बेहतर बनाती हैं। इसके विपरीत, “सभ्यता उन साधनाओं के फलस्वरूप उपलब्ध हुई जीवन प्रणाली का नाम है” से यह स्पष्ट होता है कि सभ्यता संस्कृति के परिणामस्वरूप विकसित होती है। उदाहरण के लिए, भारत की सांस्कृतिक धरोहर, जैसे योग और आयुर्वेद, न केवल उसके जीवन को उन्नत बनाती है, बल्कि भारतीय सभ्यता को भी अद्वितीय बनाती है। इसके अलावा, भौगोलिक परिस्थितियों का प्रभाव, जैसे जलवायु और भूगोल, संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जैसे कि, हिमालय क्षेत्र की संस्कृति में ध्यान और साधना का महत्व अधिक है, जबकि शुष्क क्षेत्र की संस्कृति में जल संरक्षण के उपायों का महत्व है।