कुतुबुद्दीन ऐबक को ‘लाख बख्श’ क्यों कहा जाता है? [उत्तर सीमा: 20 शब्द] [UKPSC 2016]
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कुतुबुद्दीन ऐबक को ‘लाख बख्श’ कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने शासनकाल में अनेक दान और उपहारों से जनता का दिल जीता। वह सुलतान मोहम्मद गोरी के अधीन एक गुलाम के रूप में आए और बाद में भारत के पहले तुर्क सुलतान बने। ‘लाख बख्श’ का अर्थ है ‘लाखों का दाता’, जो उनके उदारता और जनकल्याण के प्रति समर्पण को दर्शाता है। ऐबक ने शिक्षा, कला और स्थापत्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे उन्होंने सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को समृद्ध किया। उनकी विरासत में कुतुब मीनार जैसी प्रसिद्ध इमारतें शामिल हैं, जो उनकी उपलब्धियों का प्रतीक हैं।
कुतुबुद्दीन ऐबक को ‘लाख बख्श’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अनगिनत दान और उपहार दिए थे, विशेषकर गरीबों को।