(i) देवभूमि उत्तराखंड का सांस्कृति महत्त्व
(ii) उत्तराखंड के विकास में वन संपदा का महत्त्व
(iii) उत्तराखंड का लोकसाहित्य
(iv) महिला सशक्तीकरण की दृष्टि से उत्तराखंड की चुनौतियाँ [उत्तर सीमा: 500 शब्द, अंक: 55] [UKPSC 2012]
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देवभूमि उत्तराखंड का सांस्कृतिक महत्त्व
उत्तराखंड, जिसे देवभूमि कहा जाता है, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यह राज्य न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ है, बल्कि यहाँ की संस्कृति, परंपराएँ, और धार्मिक स्थलों का भी एक अनूठा महत्व है। उत्तराखंड का सांस्कृतिक महत्त्व उसकी विविधता में निहित है, जिसमें विभिन्न जातियों, भाषाओं, और धर्मों का समावेश होता है।
धार्मिक महत्व
उत्तराखंड का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। यहाँ कई प्रमुख तीर्थ स्थल स्थित हैं, जैसे बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री। ये स्थान न केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए बल्कि अन्य धर्मों के लोगों के लिए भी आस्था के केंद्र हैं। हर वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं, जिससे स्थानीय संस्कृति को एक विशेष पहचान मिलती है। इन तीर्थ स्थलों पर होने वाले मेलों और उत्सवों में स्थानीय जनजीवन की झलक मिलती है।
लोकसंस्कृति और परंपराएँ
उत्तराखंड की लोकसंस्कृति बेहद विविध और जीवंत है। यहाँ की लोकगीत, नृत्य, और पर्व त्योहार लोगों की जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा हैं। जौनसारी, कुमाऊंनी और गढ़वाली संगीत और नृत्य इस क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को और मजबूत करते हैं। लोककथाएँ और मिथक यहाँ की संस्कृति को जीवित रखते हैं और नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ते हैं।
कला और शिल्प
उत्तराखंड की कला और शिल्प भी इसके सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ की बुनाई, कढ़ाई, और हस्तशिल्प कार्य स्थानीय लोगों की कड़ी मेहनत और रचनात्मकता को दर्शाते हैं। विशेषकर कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र की पारंपरिक कला शैली और निर्माण तकनीकें अद्वितीय हैं। ये शिल्प कारीगरों की संस्कृति का प्रतीक हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी योगदान करते हैं।
पर्यावरण और संस्कृति
उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और पर्यावरणीय समृद्धि भी इसकी सांस्कृतिक विरासत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पहाड़ी क्षेत्रों की सुंदरता, जलप्रपात, और वन्यजीव यहाँ की सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करते हैं। ये प्राकृतिक संसाधन न केवल स्थानीय निवासियों की जीवनशैली को प्रभावित करते हैं, बल्कि पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी बनते हैं।
निष्कर्ष
इस प्रकार, देवभूमि उत्तराखंड का सांस्कृतिक महत्त्व उसकी धार्मिक, लोकसंस्कृति, कला और पर्यावरणीय सुंदरता में छिपा है। यह राज्य अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संजोये हुए है, जो न केवल भारत के लिए बल्कि विश्व के लिए एक अद्वितीय उदाहरण है। यहाँ की संस्कृति लोगों को एकजुट करती है और जीवन की विभिन्नताओं को एक रंग में रंग देती है। उत्तराखंड की संस्कृति को समझना और सराहना, हमें एक समृद्ध और विविधता से भरी दुनिया की ओर अग्रसर करता है।