इसरो और डीआरडीओ जैसे संस्थानों की भूमिका स्वतंत्र भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्या महत्व रखती है? इनके योगदान का विश्लेषण करें।
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इसरो और डीआरडीओ की भूमिका स्वतंत्र भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) स्वतंत्र भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभा रहे हैं। इन दोनों संस्थानों के योगदान से भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत किया है और तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
1. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
स्थापना और उद्देश्य: ISRO की स्थापना 1969 में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को विकसित करना है।
प्रमुख योगदान:
2. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO)
स्थापना और उद्देश्य: DRDO की स्थापना 1958 में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य रक्षा प्रणालियों और तकनीकी क्षमताओं में स्वदेशी विकास और नवाचार को बढ़ावा देना है।
प्रमुख योगदान:
हाल के उदाहरण:
निष्कर्ष:
ISRO और DRDO ने स्वतंत्र भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ISRO ने अंतरिक्ष अनुसंधान में नई ऊँचाइयाँ हासिल की हैं और भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाया है। DRDO ने रक्षा प्रणालियों और तकनीकी नवाचारों में आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इन दोनों संस्थानों के प्रयासों ने न केवल भारत की वैश्विक पहचान को मजबूत किया है, बल्कि देश की सुरक्षा, स्वदेशी तकनीक, और अंतरिक्ष क्षमताओं को भी सुदृढ़ किया है।