प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023]
भूआकृतिक विशेषताओं के आधार पर पर्वतों का वर्गीकरण कीजिये।
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भूआकृतिक विशेषताओं के आधार पर पर्वतों का वर्गीकरण
पर्वतों का भूआकृतिक विशेषताओं के आधार पर वर्गीकरण उनके निर्माण, संरचना और उत्पत्ति की प्रक्रियाओं पर निर्भर करता है। यहाँ पर इस वर्गीकरण का विस्तृत विवरण और कुछ हालिया उदाहरण दिए गए हैं:
1. आकृतित पर्वत (Fold Mountains):
परिभाषा: आकृतित पर्वत वे होते हैं जो मुख्यतः टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने से बनते हैं, जिससे पृथ्वी की पपड़ी में मोड़ आ जाते हैं। इन पर्वतों में जटिल संरचनाएँ होती हैं, जैसे कि एंटिक्लाइन (ऊपर की ओर मोड़ा हुआ) और सिंक्लाइन (नीचे की ओर मोड़ा हुआ)।
उदाहरण:
2. ब्लॉक पर्वत (Block Mountains):
परिभाषा: ब्लॉक पर्वत या फ़ॉल्ट-ब्लॉक पर्वत तब बनते हैं जब पृथ्वी की पपड़ी दरारों के कारण ब्लॉक्स में बँट जाती है और ये ब्लॉक्स एक-दूसरे की तुलना में ऊँचाई या नीचाई में उठते हैं या गिरते हैं।
उदाहरण:
3. ज्वालामुखीय पर्वत (Volcanic Mountains):
परिभाषा: ज्वालामुखीय पर्वत तब बनते हैं जब मैग्मा पृथ्वी की पपड़ी के माध्यम से फूटकर ज्वालामुखीय सामग्री का निर्माण करता है, जिससे एक शंक्वाकार या गुंबदाकार संरचना बनती है।
उदाहरण:
4. अवशिष्ट पर्वत (Residual Mountains):
परिभाषा: अवशिष्ट पर्वत, जिसे डेन्यूडेशन पर्वत भी कहा जाता है, वे पर्वत होते हैं जो समय के साथ निरंतर अपरदन की प्रक्रिया से बने होते हैं। ये पुराने पर्वत होते हैं जो अब घिसे-पिटे और कम ऊँचाई वाले रह जाते हैं।
उदाहरण:
5. गुंबद पर्वत (Dome Mountains):
परिभाषा: गुंबद पर्वत वे होते हैं जब मैग्मा पृथ्वी की पपड़ी को ऊपर की ओर धकेलता है लेकिन विस्फोट नहीं करता। इस प्रकार की संरचना गुंबद जैसी होती है, जो बाद में घिसावट के द्वारा खुल जाती है।
उदाहरण:
निष्कर्ष
भूआकृतिक विशेषताओं के आधार पर पर्वतों का वर्गीकरण उनके निर्माण और संरचना को समझने में मदद करता है। हाल के भौगोलिक घटनाओं जैसे हिमालय और किलाउआ की सक्रियता इस वर्गीकरण की प्रासंगिकता को दर्शाती है।