यह तो समझ आता है कि भारी अनैतिक तौर-तरीकों में हमें फँसना नहीं चाहिए, लेकिन छोटे-मोटे उपहारों को स्वीकार करना और छोटी-मोटी तरफ़दारियाँ करना सभी के अभिप्रेरण में वृद्धि कर देता है। यह तंत्र को और भी अधिक सुचारु बना देता है। ऐसे तौर-तरीकों को अपनाने में ग़लत क्या है? उपरोक्त दृष्टिकोणों का समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। इस विश्लेषण के आधार पर अपने मित्र को आपकी क्या सलाह रहेगी? (250 words)[UPSC 2014]
छोटे उपहारों और कृपाओं के नैतिक प्रभावों का विश्लेषण
छोटे-मोटे उपहार और कृपाएं अक्सर प्रोत्साहन और कार्यक्षमता बढ़ाने के रूप में देखी जाती हैं, लेकिन इनका नैतिक और व्यावसायिक प्रभाव गहराई से विचारणीय है।
1. नैतिकता की नींव का क्षय
नैतिक मानकों का क्षय: छोटे उपहार और कृपाएं नैतिक मानकों को धीरे-धीरे कमजोर कर सकती हैं। जब छोटे स्तर पर अनैतिकता स्वीकार की जाती है, तो यह बड़े स्तर पर भी अनैतिक व्यवहार को सामान्य कर सकती है। उदाहरण के तौर पर, भारत में सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं में छोटे-मोटे उपहारों के प्रचलन ने भर्ती प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता को प्रभावित किया है।
2. असमानता और पक्षपाती व्यवहार
असमान अवसर: छोटे उपहार और कृपाएं असमान अवसर पैदा करती हैं और एकतरफा लाभ को बढ़ावा देती हैं। पंजाब में हाल ही में हुए पटवारी परीक्षा घोटाले ने दिखाया कि कैसे छोटे उपहार और कृपाएं कुछ व्यक्तियों को अनुचित लाभ दिला सकती हैं, जिससे योग्य उम्मीदवारों के लिए अवसरों में कमी आती है।
3. कानूनी और प्रतिष्ठात्मक जोखिम
कानूनी और प्रतिष्ठा संबंधी समस्याएँ: छोटे अनैतिक व्यवहार कानूनी और प्रतिष्ठात्मक समस्याओं को जन्म दे सकते हैं। फिरौती के मामले और अन्य छोटे अनैतिक कृत्यों के परिणामस्वरूप व्यक्ति और संस्था दोनों की प्रतिष्ठा पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, जैसा कि एनरॉन और वोल्कस्वागन स्कैंडल में देखा गया है।
4. संगठनात्मक संस्कृति पर प्रभाव
संगठनात्मक संस्कृति का पतन: छोटे उपहार और कृपाएं संगठनात्मक संस्कृति को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे कर्मचारी विश्वास और संतोष में कमी महसूस कर सकते हैं। नोटबंदी के बाद की प्रक्रिया में, छोटे लेन-देन की आदतें और भ्रष्टाचार ने सरकारी विभागों में विश्वास की कमी को जन्म दिया।
मित्र को सलाह
नैतिकता पर अडिग रहें: छोटे उपहार और कृपाएं, भले ही पहली नज़र में तुच्छ लगें, दीर्घकालिक नैतिकता और न्याय की दिशा में बाधक हो सकती हैं। अपने मित्र को सलाह दें कि वे नैतिकता पर अडिग रहें और पारदर्शिता को प्राथमिकता दें। यह उन्हें न केवल एक मजबूत नैतिक आधार प्रदान करेगा, बल्कि दीर्घकालिक में व्यक्तिगत और व्यावसायिक सफलता की दिशा में भी सहायक होगा। नैतिकता और ईमानदारी की मार्गदर्शक भावना को अपनाना महत्वपूर्ण है, ताकि एक समर्पित और निष्पक्ष पेशेवर छवि कायम रखी जा सके।