प्रश्न का उत्तर अधिकतम 200 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 11 अंक का है। [MPPSC 2023]
भारत की समकालीन गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा करें।
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भारत की समकालीन गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियाँ पारंपरिक सैन्य सुरक्षा से परे जाती हैं और अनेक नए खतरे और संकटों को शामिल करती हैं। ये चुनौतियाँ भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर रही हैं और इसके लिए एक समग्र और बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। यहां कुछ प्रमुख गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियाँ दी गई हैं:
1. आतंकवाद और उग्रवाद
आंतरिक आतंकवाद: भारत के विभिन्न हिस्सों में आतंकवाद और उग्रवाद की गतिविधियाँ जारी हैं, जैसे कि कश्मीर में आतंकवादी हमले, उत्तर-पूर्वी राज्यों में उग्रवादी गतिविधियाँ, और नक्सलवाद से जुड़ी हिंसा। ये गतिविधियाँ राज्य की स्थिरता और विकास को प्रभावित करती हैं।
सर्विलांस और डिजिटल आतंकवाद: आतंकवादी संगठन डिजिटल माध्यमों का उपयोग करके भर्ती और संचार करते हैं। साइबर स्पेस का दुरुपयोग करके आतंकी गतिविधियों को फैलाने की कोशिशें बढ़ रही हैं, जैसे कि सोशल मीडिया पर प्रोपेगंडा फैलाना।
2. साइबर सुरक्षा
साइबर हमले: भारत को विभिन्न प्रकार के साइबर हमलों का सामना करना पड़ता है, जिनमें सरकारी, निजी और अवसंरचनात्मक बुनियादी ढांचे पर हमले शामिल हैं। डेटा चोरी, हैकिंग, और साइबर स्पायिंग जैसे खतरे बढ़ रहे हैं।
साइबर युद्ध: साइबर युद्ध के खतरे ने भी चिंता बढ़ा दी है, जिसमें न केवल डेटा चोरी बल्कि महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को भी निशाना बनाया जा सकता है, जैसे बिजली ग्रिड और संचार नेटवर्क।
3. जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकट
प्राकृतिक आपदाएँ: जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाएँ, जैसे बाढ़, सूखा, और चक्रवात, अधिक频频 हो रही हैं। ये आपदाएँ जीवन, संपत्ति और आर्थिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाती हैं और मानव सुरक्षा को खतरे में डालती हैं।
पर्यावरणीय विस्थापन: जलवायु परिवर्तन के कारण कुछ क्षेत्रों में लोगों का विस्थापन बढ़ रहा है। यह विस्थापन सामाजिक तनाव और सुरक्षा के मुद्दों को जन्म देता है, खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों में।
4. स्वास्थ्य संकट
महामारी: COVID-19 जैसी वैश्विक महामारियाँ स्वास्थ्य प्रणालियों पर भारी दबाव डालती हैं और अर्थव्यवस्था, समाज, और सुरक्षा को प्रभावित करती हैं। ऐसी महामारियाँ वैश्विक और राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौती बन सकती हैं।
संक्रामक रोगों की वृद्धि: नई और पुनरुत्थानकारी संक्रामक बीमारियाँ जैसे कि एबोला, हिपेटाइटिस, और अन्य संक्रमण रोगों का प्रसार भी एक गंभीर चिंता का विषय है।
5. आर्थिक असमानता और सामाजिक असंतोष
आर्थिक असमानता: आर्थिक असमानता और गरीबी की समस्याएँ सामाजिक असंतोष को जन्म देती हैं, जिससे आंतरिक स्थिरता और सामाजिक शांति प्रभावित होती है। यह असंतोष आतंकवाद, उग्रवाद, और अन्य अस्थिरता का कारण बन सकता है।
शहरीकरण और सामाजिक तनाव: तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण से जुड़े मुद्दे, जैसे अनियंत्रित झुग्गी-झोपड़ी, प्रदूषण, और अवसंरचनात्मक समस्याएँ, सामाजिक तनाव और संघर्ष को बढ़ावा देती हैं।
6. मानवाधिकार और शरणार्थी संकट
शरणार्थी संकट: नागरिक संघर्ष और प्राकृतिक आपदाओं के कारण बड़े पैमाने पर शरणार्थियों की आमद होती है, जो सीमा प्रबंधन और संसाधनों पर दबाव डालती है।
मानवाधिकार उल्लंघन: मानवाधिकार उल्लंघन और असमानता से जुड़े मुद्दे सामाजिक अस्थिरता को बढ़ावा देते हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं।
7. विदेशी हस्तक्षेप और जियो-पॉलिटिकल तनाव
सुरक्षा साझेदारी और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा: भारत के पड़ोसी देशों के साथ जियो-पॉलिटिकल तनाव और सुरक्षा साझेदारी की रणनीतियाँ भारत की सुरक्षा नीति को प्रभावित करती हैं। सीमा विवाद और क्षेत्रीय प्रभाव क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा सुरक्षा चुनौतियाँ पैदा कर सकती हैं।
संप्रभुता और संप्रभुता पर खतरे: विदेशी हस्तक्षेप और संप्रभुता की समस्याएँ भी चिंता का विषय हैं, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को प्रभावित करती हैं।
इन चुनौतियों का प्रभावी रूप से मुकाबला करने के लिए एक समग्र और बहुआयामी सुरक्षा रणनीति की आवश्यकता है, जिसमें तकनीकी, सामरिक, सामाजिक, और आर्थिक पहलुओं को शामिल किया जाए। इस तरह की रणनीति से भारत इन गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर सकता है और एक सुरक्षित और स्थिर राष्ट्र की दिशा में अग्रसर हो सकता है।