सत्यम् कलंकपूर्ण कार्य (2009) के प्रकाश में कॉर्पोरेट शासन में पारदर्शिता, जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए लाए गए परिवर्तनों पर चर्चा कीजिए।
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सत्यम् कलंकपूर्ण कार्य और कॉर्पोरेट शासन में परिवर्तन
परिचय: सत्यम् कंप्यूटर सर्विसेज का मामला, जिसने 2009 में एक वित्तीय धोखाधड़ी का खुलासा किया, भारत के कॉर्पोरेट क्षेत्र में एक बड़ा संकट उत्पन्न किया। इस घटना ने स्पष्ट रूप से कॉर्पोरेट शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को उजागर किया।
सत्यम का संकट: सत्यम कंप्यूटर ने 7000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की थी, जिसने केवल कंपनी को ही नहीं बल्कि पूरे भारतीय वित्तीय बाजार को हिलाकर रख दिया। इस धोखाधड़ी में कंपनी के CEO रामलिंगराजू ने अपने फर्जी लेखों के माध्यम से वित्तीय विवरण में हेरफेर किया।
परिवर्तन और सुधार:
निष्कर्ष: सत्यम निवेश घोटाले ने भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र में आवश्यकता को स्पष्ट किया कि पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। सरकार और नियामक संस्थाओं ने सुधारों के माध्यम से कॉर्पोरेट governance में विश्वास को फिर से स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। लड़ाई अभी जारी है, लेकिन हालिया कदमों से रहन-सहन और प्रशासकीय प्रक्रियाओं में सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं।