‘स्मार्ट शहरों’ से क्या तात्पर्य है? भारत के शहरी विकास में इनकी प्रासंगिकता का परीक्षण कीजिए। क्या इससे ग्रामीण तथा शहरी भेदभाव में बढ़ोतरी होगी? पी० यू० आर० ए० एवं आर० यू० आर० बी० ए० एन० मिशन के सन्दर्भ में ‘स्मार्ट गाँवों’ के लिए तर्क प्रस्तुत कीजिए। (200 words) [UPSC 2016]
स्मार्ट शहर वे शहरी क्षेत्र हैं जो डिजिटल तकनीक और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का उपयोग करके अपने प्रदर्शन, जीवन की गुणवत्ता और संसाधनों के प्रबंधन में सुधार करते हैं। इसमें स्मार्ट बुनियादी ढाँचा, स्मार्ट ट्रैफिक प्रबंधन, ऊर्जा दक्षता और सार्वजनिक सेवाओं की बेहतरी शामिल होती है। उदाहरण के लिए, स्मार्ट दिल्ली में ट्रैफिक प्रबंधन के लिए स्मार्ट सिग्नल और ऊर्जा प्रबंधन के लिए सोलर पैनल लगाए गए हैं।
भारत के शहरी विकास में प्रासंगिकता
स्मार्ट शहर सार्वजनिक सेवाओं की दक्षता बढ़ाते हैं, जैसे स्वच्छ जल, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, और सहज परिवहन। स्मार्ट बेंगलुरु ने ट्रैफिक जाम कम करने के लिए स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल लागू किए हैं।
ये हरित प्रौद्योगिकियाँ और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाते हैं, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव कम होता है। अहमदाबाद में सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं।
स्मार्ट शहर निवेश और रोजगार के अवसर उत्पन्न करते हैं, जैसे पुणे में आईटी और टेक्नोलॉजी सेक्टर में वृद्धि।
ग्रामीण-शहरी भेदभाव में वृद्धि
स्मार्ट शहरों पर ध्यान केंद्रित करने से ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों और विकास की कमी हो सकती है, जिससे ग्रामीण-शहरी भेदभाव बढ़ सकता है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं की अनदेखी कर सकता है।
‘स्मार्ट गाँवों’ के लिए तर्क
पी.यू.आर.ए. का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराना है, जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो। स्मार्ट गाँव इन सुविधाओं को बढ़ावा दे सकते हैं और ग्रामीण पलायन को रोक सकते हैं।
आर.यू.आर.बी.एएन मिशन का उद्देश्य सभी सुविधाएँ और आर्थिक विकास को ग्रामीण क्षेत्रों में लाना है। स्मार्ट गाँव इस दृष्टिकोण को आगे बढ़ा सकते हैं और सतत विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।
निष्कर्ष
स्मार्ट शहरों का विकास भारत के शहरी क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन स्मार्ट गाँवों को भी उतना ही महत्व देना चाहिए ताकि ग्रामीण-शहरी भेदभाव कम हो सके और सतत विकास संभव हो सके। पी.यू.आर.ए. और आर.यू.आर.बी.एएन मिशन जैसे कार्यक्रम इस प्रक्रिया में सहायक हो सकते हैं।