वर्ष 2014 में भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से आकासाकी, अमानो तथा नाकामुरा को 1990 के दशक में नीली एल.ई.डी. के आविष्कार के लिए प्रदान किया गया था। इस आविष्कार ने मानव-जाति के दैनंदिन जीवन को किस प्रकार प्रभावित किया है? (250 words) [UPSC 2021]
परिचय
वर्ष 2014 में भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार आकासाकी, अमानो, और नाकामुरा को 1990 के दशक में नीली एल.ई.डी. के आविष्कार के लिए प्रदान किया गया था। इस आविष्कार ने मानव-जाति के दैनंदिन जीवन को गहराई से प्रभावित किया है।
प्रकाश व्यवस्था में क्रांति
नीली एल.ई.डी. ने सफेद एल.ई.डी. के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नीली, लाल और हरी एल.ई.डी. को मिलाकर सफेद प्रकाश प्राप्त किया जाता है। इसने पारंपरिक इंकेन्डेसेंट और फ्लोरोसेंट लाइटिंग की जगह ली है, जिससे ऊर्जा की बचत और दीर्घकालिक उपयोग में सुधार हुआ है। उदाहरण के लिए, दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में एल.ई.डी. स्ट्रीटलाइट्स की स्थापना से 50% ऊर्जा की बचत हुई है।
पर्यावरणीय प्रभाव
एल.ई.डी. बल्ब्स 80% कम ऊर्जा का उपयोग करते हैं और इनकी उम्र लंबी होती है, जिससे कचरे और रिप्लेसमेंट की आवृत्ति में कमी आई है। इससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भी कमी आई है।
तकनीकी उन्नति
नीली एल.ई.डी. ने डिस्प्ले टेक्नोलॉजी में भी सुधार किया है। स्मार्टफोन, टीवी और मॉनिटर्स में LED स्क्रीन का उपयोग बेहतर रंग सटीकता, ऊर्जा दक्षता और उच्च ब्राइटनेस प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, OLED TVs और स्मार्टफोन ने उच्च गुणवत्ता वाले डिस्प्ले अनुभव को संभव बनाया है।
चिकित्सकीय और वैज्ञानिक उपयोग
नीली एल.ई.डी. का उपयोग फोटोथेरपी और फ्लोरोसेंस माइक्रोस्कोपी में भी किया जाता है, जो चिकित्सा उपचार और वैज्ञानिक अनुसंधान में सहायता करता है। हाल ही में, चिकित्सकीय फोटोथेरपी में नीली एल.ई.डी. का उपयोग त्वचा संबंधी विकारों के इलाज के लिए किया जा रहा है।
निष्कर्ष
नीली एल.ई.डी. का आविष्कार ने प्रकाश व्यवस्था, पर्यावरण संरक्षण, तकनीकी उन्नति और चिकित्सकीय उपयोग में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं। इसके प्रभावी उपयोग से जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और समाज पर इसका सकारात्मक असर पड़ा है।