उन विभिन्न तरीकों पर चर्चा कीजिए जिनसे सूक्ष्मजीवी इस समय हो रही ईंधन की कमी से पार पाने में मदद कर सकते हैं। (150 words)[UPSC 2023]
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
परिचय
सूक्ष्मजीवी वर्तमान में हो रही ईंधन की कमी से निपटने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ये जीव नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के रूप में जैव-ईंधन और बायोगैस उत्पादन में सहायक हैं, जो पारंपरिक जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम कर सकते हैं।
जैव-ईंधन का उत्पादन
शैवाल और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीवों का उपयोग बायोडीजल और बायोएथेनॉल उत्पादन के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, शैवाल में उच्च लिपिड सामग्री होती है, जो इसे बायोडीजल के लिए उपयुक्त बनाती है। भारत में CSIR-IICT जैसे संस्थानों द्वारा शैवाल आधारित जैव-ईंधन पर शोध हो रहा है, जो भविष्य में ईंधन संकट से निपटने में मदद कर सकता है।
बायोगैस उत्पादन
अनारोबिक बैक्टीरिया कार्बनिक कचरे को विघटित करके बायोगैस बनाते हैं। भारत में राष्ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंधन कार्यक्रम (NBMMP) के तहत कृषि अपशिष्ट और गोबर से बायोगैस का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे ईंधन की कमी कम करने में मदद मिल रही है।
सूक्ष्मजीवी ईंधन कोशिकाएँ (MFCs)
सूक्ष्मजीवी ईंधन कोशिकाओं का उपयोग करके सूक्ष्मजीवों द्वारा कार्बनिक पदार्थों को विद्युत में परिवर्तित किया जाता है। यह तकनीक अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों में बिजली उत्पादन के लिए शोधाधीन है।
निष्कर्ष
सूक्ष्मजीवों के माध्यम से जैव-ईंधन, बायोगैस और सूक्ष्मजीवी ईंधन कोशिकाओं का उत्पादन स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा प्रदान करता है, जो ईंधन की कमी से निपटने का एक स्थायी समाधान हो सकता है।