भारत में बाढ़ों को सिंचाई के और सभी मौसम में अन्तर्देशीय नौसंचालन के एक धारणीय स्रोत में किस प्रकार परिवर्तित किया जा सकता है? (250 words) [UPSC 2017]
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भारत में बाढ़ों को सिंचाई और सभी मौसम में अन्तर्देशीय नौसंचालन के एक धारणीय स्रोत में परिवर्तित करने के उपाय
1. बाढ़ जल संचयन और संग्रहण:
बाढ़ों के पानी को सिंचाई के लिए उपयोगी संसाधन में बदलने के लिए जल संचयन और संग्रहण ढांचों में निवेश करना आवश्यक है। चेक डैम और पेरकोलेशन टैंक जैसे ढांचे बाढ़ के पानी को संग्रहीत कर सकते हैं और इसे भूमिगत जल पुनर्भरण के रूप में उपयोग कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में छोटे चेक डैम का उपयोग बाढ़ के पानी को संग्रहित करने के लिए किया जाता है, जिससे सिंचाई के लिए जल उपलब्धता में सुधार हुआ है।
2. बाढ़ नियंत्रण जलाशयों का निर्माण:
बाढ़ नियंत्रण जलाशयों और आर्टिफिशियल लेक्स का निर्माण बाढ़ के पानी को भविष्य में उपयोग के लिए संग्रहीत कर सकता है। नर्मदा डैम (गुजरात) इसका एक उदाहरण है, जो बाढ़ के पानी को संग्रहीत करके पूरे वर्ष सिंचाई के लिए एक स्थिर जल स्रोत प्रदान करता है।
3. बाढ़ क्षेत्रों का कृषि में उपयोग:
बाढ़ क्षेत्रों, जो पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, को कृषि योजनाओं में शामिल किया जा सकता है। इन क्षेत्रों में बाढ़-प्रतिरोधी फसलों और खेती की तकनीकों का उपयोग कर बाढ़ के पानी के पोषक तत्वों को कृषि उत्पादकता में बदला जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, ब्रह्मपुत्र घाटी (असम) में बाढ़ के पानी से फसलों की उत्पादकता बढ़ी है।
4. अन्तर्देशीय नौसंचालन के लिए बाढ़ जल का उपयोग:
बाढ़ के पानी का अन्तर्देशीय नौसंचालन के लिए उपयोग में लाने के लिए नदी चैनलों और जलमार्गों का विकास किया जा सकता है। बाढ़ क्षेत्रों और नदी चैनलों को गहरा और बनाए रखा जा सकता है ताकि बाढ़ और बाद में नौसंचालन संभव हो सके। राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा) और राष्ट्रीय जलमार्ग-2 (ब्रह्मपुत्र) इसका उदाहरण हैं।
5. स्मार्ट बाढ़ प्रबंधन प्रणाली:
स्मार्ट बाढ़ प्रबंधन प्रणाली का उपयोग बाढ़ पूर्वानुमान और प्रबंधन के लिए किया जा सकता है। सैटेलाइट तकनीक और जीआईएस (भूगोलिक सूचना प्रणाली) बाढ़ घटनाओं की भविष्यवाणी करने और बाढ़ के पानी के उपयोग की योजना बनाने में सहायक हो सकते हैं।
6. सरकारी योजनाएँ और नीतियाँ:
राष्ट्रीय मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर (NMSA) और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) जैसी सरकारी योजनाएँ बाढ़ के पानी का उपयोग प्रभावी ढंग से करने के लिए अवसंरचना और प्रथाओं के विकास का समर्थन करती हैं।
निष्कर्ष:
भारत में बाढ़ों को सिंचाई और अन्तर्देशीय नौसंचालन के लिए धारणीय संसाधन में बदलने के लिए प्रभावी योजना और अवसंरचना विकास की आवश्यकता है। बाढ़ जल संचयन, जलाशय निर्माण, बाढ़ क्षेत्रों का कृषि में उपयोग, और नौसंचालन परियोजनाओं में निवेश बाढ़ के पानी को लाभकारी बनाने में सहायक हो सकते हैं।