तक्षशिला विश्वविद्यालय विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालयों में से एक था जिसके साथ विभिन्न शिक्षण-विषयों (डिसिप्लिन्स) के अनेक विख्यात विद्वानी व्यक्तित्व सम्बन्धित थे। उसकी रणनीतिक अवस्थिति के कारण उसकी कीर्ति फैली, लेकिन नालन्दा के विपरीत, उसे आधुनिक अभिप्राय में.. विश्वविद्यालय नहीं समझा जाता। चर्चा कीजिए । (150 words) [UPSC 2014]
तक्षशिला विश्वविद्यालय: प्राचीन शिक्षा केंद्र और आधुनिक विश्वविद्यालय की तुलना
**1. ऐतिहासिक महत्व
तक्षशिला विश्वविद्यालय, वर्तमान पाकिस्तान के क्षेत्र में स्थित था और यह विश्व के प्राचीनतम शिक्षा केंद्रों में से एक था। यह 6वीं सदी ईसा पूर्व से 5वीं सदी ईस्वी तक सक्रिय रहा। इसकी रणनीतिक अवस्थिति ने इसे व्यापारिक और सांस्कृतिक मार्गों का प्रमुख केंद्र बना दिया, जिससे यह विद्वानों के लिए एक प्रमुख स्थल बन गया। यहाँ चरक और पाणिनि जैसे महान विद्वान जुड़े थे।
**2. पाठ्यक्रम और विषय
तक्षशिला का पाठ्यक्रम चिकित्सा, कानून, और दर्शन जैसे विविध विषयों को शामिल करता था, और यह विभिन्न ज्ञान परंपराओं का संगम था। हालांकि, इसमें आधुनिक विश्वविद्यालयों की तरह कोई मानकीकृत पाठ्यक्रम, डिग्री, या औपचारिक प्रशासनिक ढांचा नहीं था।
**3. नालंदा की तुलना
नालंदा विश्वविद्यालय (5वीं सदी ईस्वी – 1197 ईस्वी) एक और महत्वपूर्ण प्राचीन शिक्षा केंद्र था। नालंदा में एक व्यवस्थित शिक्षा प्रणाली, आवासीय सुविधाएं, और परीक्षा प्रणाली थी, जो इसे आधुनिक विश्वविद्यालयों के आदर्श के रूप में प्रस्तुत करता है।
**4. हालिया खोजें और विरासत
हाल ही की पुरातात्त्विक खोजों ने तक्षशिला के शैक्षिक अभ्यास और संरचना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की हैं। फिर भी, तक्षशिला की कीर्ति इसकी रणनीतिक स्थिति और विद्वानों के योगदान के कारण थी, न कि औपचारिक शैक्षिक प्रणाली के कारण।
संक्षेप में, तक्षशिला एक प्रमुख प्राचीन शिक्षण केंद्र था, लेकिन इसकी संरचना और शैक्षिक प्रणाली की कमी के कारण इसे आधुनिक विश्वविद्यालयों के मानक पर नहीं लाया जा सकता।