प्रश्न का उत्तर अधिकतम 10 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 02 अंक का है। [MPPSC 2022]
रवीन्द्रनाथ टैगोर के अनुसार, मनुष्य और प्रकृति में किस तरह का संबंध है?
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परिचय
रवीन्द्रनाथ टैगोर, जो एक महान कवि, दार्शनिक और चिंतक थे, ने मनुष्य और प्रकृति के बीच गहरे और सामंजस्यपूर्ण संबंध को समझा। उनके अनुसार, यह संबंध आध्यात्मिक और अंतरनिर्भर है, जिसमें मनुष्य और प्रकृति एक-दूसरे के पूरक हैं। टैगोर का मानना था कि मनुष्य प्रकृति का अभिन्न अंग है और दोनों को परस्पर सम्मान और संतुलन में रहना चाहिए ताकि सच्चे सुख और प्रगति की प्राप्ति हो सके।
1. प्रकृति के साथ आध्यात्मिक और भावनात्मक संबंध
टैगोर के अनुसार, मनुष्य और प्रकृति के बीच एक आध्यात्मिक और भावनात्मक संबंध है।
2. प्रकृति एक शिक्षक और मार्गदर्शक के रूप में
टैगोर ने प्रकृति को एक शिक्षक के रूप में देखा, जो मनुष्य को महत्वपूर्ण जीवन पाठ सिखाती है।
3. औद्योगिकीकरण और प्रकृति के शोषण की आलोचना
टैगोर ने औद्योगिकीकरण और प्रकृति के शोषण की कड़ी आलोचना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भौतिक प्रगति के अंधाधुंध पीछा करते हुए पर्यावरण के विनाश से बचना चाहिए।
4. प्रकृति के साथ सामंजस्य से समृद्ध जीवन
टैगोर का मानना था कि जब मनुष्य प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहता है, तो उसका जीवन समृद्ध होता है।
निष्कर्ष
रवीन्द्रनाथ टैगोर के अनुसार, मनुष्य और प्रकृति का संबंध एक गहरे सामंजस्य, परस्पर सम्मान और आध्यात्मिक जुड़ाव का है। उन्होंने मानवता से आग्रह किया कि वे प्रकृति के मूल्य को केवल एक वस्तु के रूप में न देखें, बल्कि उसे जीवन के साथी के रूप में समझें। उनके विचार आज भी अत्यंत प्रासंगिक हैं, जब दुनिया पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रही है और प्रकृति के साथ टिकाऊ संबंध स्थापित करने के प्रयास कर रही है, जो सह-अस्तित्व के महत्व को रेखांकित करता है।