प्रश्न का उत्तर अधिकतम 10 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 02 अंक का है। [MPPSC 2022]
भारतीय दर्शन को चार्वाक दर्शन की सबसे बड़ी देन क्या है?
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परिचय
चार्वाक दर्शन, जिसे लोकायत के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय दर्शन का एक प्रमुख भौतिकवादी विचारधारा है। इसने पारंपरिक धार्मिक प्रथाओं, वेदों की प्रामाणिकता, और अध्यात्मिक अवधारणाओं को खारिज करते हुए प्रत्यक्ष अनुभव और जीवन में सुखवाद पर जोर दिया। भले ही इसे अन्य आस्तिक दर्शनों द्वारा आलोचना का सामना करना पड़ा हो, चार्वाक की भारतीय दर्शन को दी गई देन अत्यंत महत्वपूर्ण है।
1. प्रत्यक्ष अनुभव पर बल
चार्वाक दर्शन की सबसे बड़ी देन है कि इसने प्रत्यक्ष अनुभव या प्रत्यक्ष को ज्ञान का एकमात्र विश्वसनीय स्रोत माना।
2. धर्म और आध्यात्मिकता की आलोचना
चार्वाक दर्शन की एक प्रमुख विशेषता इसकी धार्मिक प्रथाओं और अध्यात्मिक अवधारणाओं जैसे कर्म, पुनर्जन्म, और परलोक की कड़ी आलोचना है।
3. भौतिकवाद और सुखवाद का समर्थन
चार्वाक ने भौतिकवाद का समर्थन किया, जिसमें केवल भौतिक जगत को वास्तविक माना गया। इसने लोगों को इस जीवन में सुख का आनंद लेने और दुःख से बचने की सलाह दी, क्योंकि इसने परलोक को नकारा।
4. धर्मनिरपेक्ष और नास्तिक विचारधारा पर प्रभाव
हालांकि चार्वाक दर्शन प्राचीन भारतीय दर्शन में एक अल्पसंख्यक विचारधारा थी, इसके विचारों ने धर्मनिरपेक्ष, नास्तिक और तर्कवादी आंदोलनों पर गहरा प्रभाव डाला।
निष्कर्ष
भारतीय दर्शन को चार्वाक दर्शन की सबसे बड़ी देन है इसका तर्कसंगत और अनुभवात्मक दृष्टिकोण और इसका धार्मिक और आध्यात्मिक अवधारणाओं की आलोचना। इसका भौतिकवादी दृष्टिकोण और वर्तमान में जीने पर जोर आज भी वैज्ञानिक सोच, धर्मनिरपेक्षता और तर्कवाद को प्रेरित करता है। भले ही प्राचीन काल में इसे मुख्यधारा में स्थान न मिला हो, पर आज के समय में इसका महत्व निर्विवाद है।