प्रश्न का उत्तर अधिकतम 10 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 02 अंक का है। [MPPSC 2022]
प्लेटो के अनुसार, ‘इंद्रिय प्रत्यक्ष’, ज्ञान क्यों नहीं है?
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परिचय
प्लेटो के अनुसार, ‘इंद्रिय प्रत्यक्ष’ को सच्चा ज्ञान नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भौतिक जगत से जुड़ा है, जो लगातार परिवर्तनशील है और इसलिए यह अविश्वसनीय है। प्लेटो के अनुसार, सच्चा ज्ञान वही हो सकता है जो स्थायी और अटल हो, और इंद्रियों से प्राप्त जानकारी ऐसा नहीं हो सकता।
1. रूपों की दुनिया और भौतिक जगत
प्लेटो ने वास्तविकता को दो भागों में विभाजित किया: रूपों की दुनिया और भौतिक जगत।
2. इंद्रिय प्रत्यक्ष व्यक्तिगत और अविश्वसनीय है
प्लेटो का मानना था कि इंद्रिय प्रत्यक्ष व्यक्तिगत होता है, क्योंकि अलग-अलग व्यक्ति एक ही वस्तु को अलग-अलग तरह से अनुभव कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक वस्तु किसी व्यक्ति को गर्म लग सकती है जबकि दूसरे को सामान्य। चूंकि हमारी इंद्रियां भ्रम पैदा कर सकती हैं, इसलिए वे ज्ञान का विश्वसनीय स्रोत नहीं हो सकतीं। इसके विपरीत, रूपों का ज्ञान (जैसे सुंदरता या न्याय का रूप) वस्तुनिष्ठ और शाश्वत होता है।
3. गुफा का रूपक
प्लेटो के प्रसिद्ध गुफा के रूपक में, वह दिखाते हैं कि लोग छायाओं की दुनिया में फंसे होते हैं, केवल वास्तविक रूपों की परछाइयों को देखते हैं। गुफा में बंदी छायाओं को वास्तविकता मान लेते हैं, लेकिन ये केवल वास्तविक वस्तुओं (रूपों) की विकृत छवियाँ होती हैं। प्लेटो के अनुसार, यह दिखाता है कि इंद्रिय प्रत्यक्ष तर्कसंगत बौद्धिकता से कमतर होता है, जो रूपों की समझ की ओर ले जाता है।
4. इंद्रिय प्रत्यक्ष की सीमाओं का आधुनिक उदाहरण
आधुनिक समय में, इंद्रिय प्रत्यक्ष की अविश्वसनीयता को विज्ञान के क्षेत्रों में देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, ऑप्टिकल इल्यूजन हमारी दृष्टि को भ्रमित कर सकती हैं, जिससे हमें वह चीज़ दिखाई देती है जो वास्तव में नहीं होती। इसी प्रकार, वर्चुअल रियलिटी (VR) जैसी तकनीकें भी ऐसी स्थितियाँ उत्पन्न करती हैं जो वास्तविक प्रतीत होती हैं, लेकिन कृत्रिम होती हैं। ये आधुनिक उदाहरण प्लेटो के विचारों से मेल खाते हैं कि इंद्रियों से देखी गई भौतिक दुनिया वास्तविकता का सच्चा प्रतिनिधित्व नहीं करती।
निष्कर्ष
प्लेटो के दर्शन में, इंद्रिय प्रत्यक्ष को ज्ञान इसलिए नहीं माना जाता क्योंकि यह बदलते और अपूर्ण भौतिक जगत से जुड़ा होता है। प्लेटो के अनुसार, सच्चा ज्ञान बौद्धिक तर्क और अचल रूपों की समझ से आता है। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं, जैसा कि ऑप्टिकल इल्यूजन और वर्चुअल रियलिटी जैसे आधुनिक उदाहरणों से सिद्ध होता है, जो दिखाते हैं कि इंद्रिय प्रत्यक्ष वास्तव में भ्रमित करने वाला हो सकता है।